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अमरनाथ यात्रा: दर्शन के लिए प्रदर्शन

अमरनाथ यात्रा की अवधि कम करने पर हो सकता है आंदोलन.

अपडेटेड 27 मई , 2012

अमरनाथ में बर्फ जमी है लेकिन बर्फानी बाबा के दर्शन के मुद्दे पर सियासत गरमा रही है. अगर जम्मू-कश्मीर के राज्‍यपाल और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के चेयरमैन एन.एन. वोहरा ने समय रहते इस मुद्दे को हल नहीं किया तो 2008 की तरह यह मुद्दा उत्तर भारत में आंदोलन का कारण बन सकता है.

अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने घोषणा की है कि श्रद्धालुओं को पहला दर्शन 25 जून को होगा, जबकि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल ने श्राइन बोर्ड की तारीख नामंजूर करके कहा है कि उनके संगठनों के 25,000 कार्यकर्ता इससे पहले ही 4 जून को दर्शन करेंगे.Amarnath Yatra

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि वोहरा के पास इस मुद्दे को सुलझने के लिए ज्‍यादा समय नहीं है. 2008 में भारतीय जनता पार्टी समर्थक अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति ने जम्मू में 62 दिन की हड़ताल की थी. इस आंदोलन से घाटी का संपर्क कट गया था और वहां जरूरी दवाओं की किल्लत हो गई थी.

भाजपा को उसी साल राज्‍य विधानसभा चुनाव में इसका फायदा हुआ और उसके विधायकों की संख्या एक से बढ़कर 11 हो गई. हालांकि एक साल बाद यह भावनात्मक मुद्दा कमजोर पड़ गया और भाजपा के लीला कर्ण शर्मा जम्मू संसदीय सीट से 2009 में चुनाव में हार गए जबकि वे अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति के संयोजक थे.

हकीकत तो यह है कि प्रदेश में भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं है. विधान परिषद चुनाव 2011 में वोट फॉर कैश मामले को लेकर पार्टी टूट गई है. कार्यकर्ता अलग-थलग पड़ गए हैं. भाजपा आलाकमान ने विधायक दल के नेता और पूर्व रक्षा राज्‍यमंत्री, प्रो. चमन लाल गुप्ता को पार्टी से निकाल दिया है और उनके साथ छह समर्थक विधायकों को निलंबित कर दिया है. आलाकमान के साथ चार विधायक हैं जबकि विरोधी ग्रुप के साथ सात विधायक हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र सिंह का कहना है, ''पार्टी किसी भी संवेदनशील मुद्दे का समर्थन करेगी. 2008 के विधानसभा चुनावों में लोगों ने हमारी पॉलिसी को समझ्कर ही हमें वोट दिया होगा.''

बोर्ड के चेयरमैन और राज्‍यपाल वोहरा का तर्क है, ''इस बार कश्मीर घाटी में जमकर बर्फबारी हुई है और गुफा के आसपास काफी बर्फ है. जनवरी 2012 से ही हमने यात्रा की तैयारी शुरू कर दी थी.'' उन्होंने बताया कि यात्रा की अवधि इस बार 39 दिन रखी गई है क्योंकि रक्षा बंधन इस साल पहले ही 2 अगस्त को आ जाएगा. आने वाले वर्षों में यात्रा की अवधि बढ़ेगी, 2013 में यात्रा 11 दिन बढ़ जाएगी, जबकि 2014 में यह 19 दिन और बढ़ेगी और 2015 में 64 दिनों की हो जाएगी.

उधर विहिप के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमाकांत दुबे ने ऐलान किया है कि श्री अमरनाथ यात्रा 3 जून से शुरू होगी और शिवलिंग का पहला दर्शन जेठ पूर्णिमा (4 जून) को होगा और 2 अगस्त (रक्षा बंधन) को आखिरी दर्शन होंगे.  विहिप ने श्राइन बोर्ड को चेतावनी दी है कि अगर उसने 3 जून से होने वाली विहिप-बजरंग दल की यात्रा को रोकने की कोशिश की तो उन्हें इसका नतीजा भुगतना पडेग़ा.

बजरंग दल के क्षेत्रीय संयोजक, नंद किशोर मिश्रा का आरोप है कि जब से वोहरा प्रदेश के राज्‍यपाल बने हैं, तब से यात्रा की अवधि हर साल घटती ही जा रही है. 2010 में यात्रा 55 दिन की हुई, 2011 में 45 दिन की और इस बार 39 दिनों की कर दी गई है. लेकिन श्राइन बोर्ड के सीईओ नवीन चौधरी का कहना है कि धार्मिक गुरु और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने सभी लोगों से बातचीत के बाद और मौसम को देखते हुए यात्रा की तिथियां घोषित की थीं.

दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फैसला किया है कि किसी भी हालत में 25 जून से पहले किसी भी यात्री को यात्रा के लिए बेस कैंप, जम्मू से बालतल और पहलगाम नहीं जाने दिया जाएगा.

वोहरा चाहते हैं कि विहिप-बजरंग दल को यात्रा पर कोई सियासत न करने दी जाए क्योंकि इससे टूरिस्ट सीजन तबाह हो जाएगा. कुछ नौकरशाहों ने सुझाव दिया है कि दोनों संगठनों के नेताओं को हेलिकॉप्टर से शिव गुफा तक ले जाकर स्थिति से रू-ब-रू कराया जाए. लेकिन बजरंग दल और विहिप को यह सुझाव मान्य नहीं है, यानी संघर्ष तय है.

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