एक तरफ अविरल गंगा की साधु समाज की मांग और दूसरी तरफ राज्य को आर्थिक रूप से संमृद्ध बनाने की मुहिम, उत्तराखंड किस तरफ खड़ा है. मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से इंडिया टुडे के प्रमुख संवाददाता पीयूष बबेले की खास बातचीत के अंशः
जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर साधु समाज और उत्तराखंड सरकार में टकराव किस बात पर है?
अगर कोई यह सोचे कि वही गंगा भक्त है और दूसरे नहीं हैं तो ऐसी बात नहीं है. मुद्दा यह है कि पर्वतीय राज्य को विकास में आगे ले जाने के दो ही माध्यम हैं, पर्यटन और जल विद्युत. जंगल हम छू नहीं सकते. अगर जल विद्युत भी पैदा न करें तो राज्य को वाइंड अप कर देना चाहिए.
गंगा के अविरल प्रवाह की बात से आप सहमत हैं या नहीं?
हम भी चाहते हैं कि गंगा में अविरल बहाव रहना चाहिए, लेकिन बहाव कितना हो ये हम या साधु-महात्मा तय न करें. ये काम पर्यावरण विशेषज्ञों को करने दें. इस पर जिद न हो. सर्दियों के महीने में जब नदी में पानी कम रहता है, हम बिजली का उत्पादन रोकने को भी तैयार हैं.
आप चाहते क्या हैं?
अगर हम बिजली बेच सकें तो उत्तराखंड आर्थिक रूप से सक्षम राज्य बनेगा. पर्यटन के विकास के लिए भी बुनियादी ढांचा चाहिए. क्या हम हर बात के लिए केंद्र से भीख मांगते रहेंगे? केंद्र या तो हमें बिजली बनाने दे या हर साल 15,000 से 20,000 करोड़ रु. दे.