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चायवाला सिंगर

जुनून और जज्बे ने विशाल श्रीवास्तव को सिंगर तो बना दिया. लेकिन उनसे अभी वो मुकाम दूर है 

फोटोः नवीन कुमार
फोटोः नवीन कुमार
अपडेटेड 16 अगस्त , 2019

जुनून और जज्बे ने विशाल श्रीवास्तव को सिंगर तो बना दिया. लेकिन उनसे अभी वो मुकाम दूर है जहां पहुंचने के लिए उन्होंने सपने संजोए हैं. विशाल थोड़े भावुक होकर कहते हैं, 'बचपन में देखा हुआ सपना अभी पूरा नहीं हुआ है. मैं हिंदुस्तान का सबसे बड़ा प्लेबैक सिंगर बनना चाहता हूं. इसके लिए मेरा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक मेरी सांसें चल रही हैं.' 

संघर्ष उन्हें कभी विचलित नहीं कर पाया. वे इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं. जब वे आठ महीने के थे तब उनकी मां गुजर गईं और पिता ने उन्हें अनाथ जैसी जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिया. मगर कुमार शानू की आवाज ने विशाल की रूह को एक अलग राह की ओर मोड़ दिया. 

'आठ साल की उम्र से मैं सानू दा के गाने गाकर अपने सपने को साकार करने के लिए मेहनत करता रहा और सोनी टीवी के रियलिटी शो एक्स फैक्टर इंडिया में पहुंच गया. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.' विशाल बड़े आत्मविश्वास के साथ कहते हैं. उनकी निजी जिंदगी में दर्द बहुत हैं. मगर वे अपनी गायिकी में मिठास ज्यादा पेश करते हैं. 

जिस तरह से शाहरुख खान को किंग आफ रोमांस कहा जाता है उसी तरह से विशाल मेलोडी किंग के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं. वे कहते हैं, 'दिल्ली के आजादपुर में बचपन चाय की दुकान पर काम करते हुए बीता. लेकिन मेरे लिए हर दर्द की दवा रेडियो पर बजने वाले गाने सुनकर मिल जाती थी. मैं सुनता तो था सभी गायकों के गाने, पर मेरे गले से कुमार शानू के गाने ज्यादा निकलने लगे. इसी ने मेरी जिंदगी को नया आयाम दिया.' 

विशाल में गायक बनने की जितनी छटपटाहट थी, उतना ही उनमें धैर्य भी था. अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए उन्होंने अखबार और पेन बेचे तो रिक्शा और ऑटो रिक्शा भी चलाया. गरीबी ने उन्हें डगमगाने की कोशिश की पर गायिकी नहीं छोड़ी. बकौल विशाल, 'मुझे कई दिनों तक खाना नहीं मिला और पानी से ही पेट भर लेता था. सुना था कि हर इंसान की किस्मत एक बार बदलती है. इसी उम्मीद में ट्रेन में अल्ताफ राजा का गाना लोगों तो सुनाते हुए दिल्ली से मुंबई कई बार आया. पर इस सच से वाकिफ हुआ कि यहां तो कोई अपना नहीं है. तब एक-डेढ़ रूपए में वडापाव से पेट भर लेता था.'

विशाल इस मायने में भाग्यशाली रहे कि उन्हें रास्ता दिखाने वाले लोग मिलते रहे. प्रशांत त्रिपाठी की सलाह पर वे मंडी हाउस में ऑडिशन नहीं दे पाए. आर्थिक संकट बाधा बन गया था. '2011 में एक्स फैक्टर इंडिया ने मेरी किस्मत बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. तब मैंने अपनी पत्नी रूबी हुसैन श्रीवास्तव को टीचर बनाने का सपना देखा था. क्योंकि पैसे नहीं होने से मैंने पढ़ाई नहीं की. पत्नी के टीचर बनने से हमारे बच्चे पढ़ लेंगे. इस समय मेरे दोनों बच्चे (एक बेटा, एक बेटी) दिल्ली में पढ़ रहे हैं.' 

विशाल ने एक्स फैक्टर इंडिया के तीनों जजों संजय लीला भंसाली, सोनू निगम और श्रेया घोषाल का दिल जीता था. फिर उन्हें राइजिंग स्टार में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने का मौका मिला. कृष्ण वर्सेस कन्हैया शो भी किया. उन्होंने अपने प्रशंसकों की बड़ी फौज तैयार कर ली है. 'मुझे इस मुकाम पर पहुंचने में 24 साल लग गए. मुझे यूथ आईकॉन का अवार्ड भी मिला है.' विशाल कहते हैं. 

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले विशाल अब रिक्शा नहीं चलाते हैं बल्कि वे हवाई जहाज से उड़ भी लेते हैं. वे सबसे पहले इजरायल गए जहां उनका 22 दिनों का म्युजिकल स्टेज शो था. इसके बाद अभी वे आस्ट्रेलिया से पांच म्युजिकल स्टेज शो करके लौटे हैं. बकौल विशाल, 'अब शोज से अच्छी कमाई हो जाती है.' 

नए टैलेंट के रूप में टी सीरीज ने उन्हें मौका दिया और उनका पहला एलबम जोगिरा रिलीज हुआ. इसके बाद पहला नशा और योगा एंथम के साथ उनके पंजाबी एलबम को भी लोगों ने खूब पसंद किया. 35 साल के विशाल ने संगीत और गायिकी की कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली है. किशोर दा, मुकेश, मोहम्मद रफी, कुमार सानू, उदित नारायण, सोनू निगम, मुन्ना अजीज, लता मंगेशकर और आशा भोसले के क्लासिकल गानों को सुनकर ही सीखा है. 

विशाल बताते हैं, 'संगीत में मुकेश परमार मेरे गुरू हैं. गायिकी में मेरा स्टाइल यही है कि मैं स्टेज से उतरकर पब्लिक के बीच में जाकर गाता हूं.' विशाल बहुत ही मेहनती हैं और उनमें सीखने की बेहद ललक है. गायिकी के साथ वे एक्टिंग भी कर लेते हैं. एक भोजपुरी फिल्म के अलावा उन्होंने अभी दो फिल्मों अंतराल और चट्टान की शूटिंग पूरी की है और इन दोनों फिल्मों में दो-दो गाने भी गाए हैं. विशाल की इच्छा है कि उन्हें एक बार अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के लिए गाने का मौका मिल जाए बस.   

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