भाजपा इस बार हर हाल में त्रिपुरा विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है. दरअसल उत्तर-पूर्व के इस छोटे राज्य को लेकर बड़ी तैयारी उस वादे को पूरा करने की कोशिश है जो भाजपा प्रमुख ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को पिछले वर्ष विजयादशमी के दिन किया था.
आरएसएस से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले साल विजयादशमी के दिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संघ के वरिष्ठ नेताओं से कहा था कि विजयादशमी पर दिया जाने वाला गुरू-दक्षिणा अगले साल (2018) में समर्पित करूंगा. उनका इशारा त्रिपुरा में भाजपा की जीत दिलाने की तरफ था.
अभी तक जिन-जिन राज्यों में लेफ्ट पार्टी की सरकार रही है वहां किसी चुनाव में भाजपा सीधे रूप से वामपंथी दलों से जीत नहीं सकी है. केरल के पिछले चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल करने की बहुत कोशिश की लेकिन सिर्फ एक सीट जीत सकी. हालांकि वोट में हिस्सेदारी बढ़कर 15 फीसदी हो गई. त्रिपुरा में चूंकि वामपंथी सरकार है इसलिए भाजपा इस चुनाव को एक बड़े मौके के रूप में देख रही है. यदि भाजपा, त्रिपुरा में चुनावी जीत हासिल करती है तो यह पहला मौका होगा जब लेफ्ट को चुनावी राजनीति में भाजपा से हार खानी होगी.
सूत्रों का कहन है कि अमित शाह ने पार्टी महासचिवों की बैठक में दो टूक कहा था कि भले त्रिपुरा छोटा राज्य है लेकिन भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण इसलिए है कि यह जीत न सिर्फ चुनावी जीत होगी बल्कि यह वैचारिक जीत भी साबित होगी. इसिलए भाजपा वहां के लिए चुनाव घोषित होने से पहले ही सातवें वेतन आयोग लागू करने का वादा कर आई है. गौरतलब है कि त्रिपुरा में अभी तक चौथे वेतन आयोग ही लागू हुआ है.