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नशीली दवाओं के कारोबार का केंद्र बन रही ताज नगरी

एनसीबी ने ड्रग तस्कर पंकज गुप्ता के गोदाम पर छापा मारकर पांच करोड़ रु. की नशे की दवा और गर्भपात किट बरामद किए. यह अवैध गोदाम पांच साल से भाजपा की एक कार्यकर्ता के मकान में चल रहा था.

पकड़ी गई दवाओं की जांच करते अधिकारी
पकड़ी गई दवाओं की जांच करते अधिकारी
अपडेटेड 21 दिसंबर , 2020

प्रेम की निशानी ताजमहल के लिए मशहूर आगरा शहर पर नशीली दवाओं का कारोबार काला निशान लगा रहा है. दिल्ली के नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अफसरों ने आगरा ड्रग विभाग और पुलिस के साथ मिलकर 19 दिसंबर को फरार चल रहे अंतरराज्यीय ड्रग तस्कर पंकज गुप्ता के गोदाम में छापा मारा तो पांच करोड़ रुपये की नशे की दवाइयां और गर्भपात किट मिलीं. पिछले वर्ष ड्रग तस्करी में आरोपित होने के बाद से पंकज गुप्ता फरार चल रहा है. पंकज गुप्ता का दवाइयों का यह अवैध गोदाम कमला नगर में एक भाजपा कार्यकर्ता के मकान में पांच साल से चल रहा था. आगरा के औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक ने बताया, “पंकज काफी समय से ड्रग तस्करों के गैंग से जुड़ा हुआ था. यह गैंग यूपी के कई जिलों के साथ ही दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिमी बंगाल में नशे की दवाओं की तस्करी कर रहे हैं.” पुलिस ने पंकज के कमला नगर स्थित घर से उसके भाई सूर्यकांत उर्फ चंद्रकांत उर्फ मंटू और बेटे अमन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया.

अमृतसर पुलिस ने 15 दिसंबर को थाना कत्थूनंगल क्षेत्र से तीन नशा तस्करों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से तीन लाख 46 हजार नशीली गोलियां बरामद की हैं, जिनकी कीमत 40 लाख रुपए है. ये सिंथेटिक ड्रग आगरा और दिल्ली में तैयार की जा रही थीं. इससे पहले अगस्त में आगरा के एक गोदाम से ग्वालियर नार्कोटिक्स विभाग की टीम ने कई करोड़ की दवाइयां बरामद की थीं. 29 जुलाई को कई राज्यों में दवाओं की तस्करी कर रहे माफि‍या जितेंद्र अरोड़ा के प्रोफेसर कॉलोनी कमला नगर स्थ‍ित गोदाम पर छापा मार कर 15 करोड़ रुपए की दवाएं पकड़ी गयीं थीं.

नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और औषधि विभाग को हरियाणा और राजस्थान से लगातार गोपनीय सूचनाएं मिल रही थीं. इनके मुताबिक, आगरा से इन राज्यों में अवैध रूप से भ्रूण हत्या में प्रयोग की जाने वाली औषधीय किटों की सप्लाई हो रही है. विभाग ने गुप्त रूप से इन फर्मों के बारे में पता लगाया. सबसे पहले आगरा के गोगिया मार्केट में काम कर रही दो फर्मों के नाम सामने आए. 10 दिसंबर को ड्रग विभाग ने दोनों प्रतिष्ठानों पर उपलब्ध मास्टर कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर का डेटा और हार्ड डिस्क का बैकअप कब्जे में ले लिया. शुरुआती जांच में काफी-कुछ संदेहास्पद डेटा मिला. एक फर्म के नशीली दवाओं के कारोबार में लिप्त होने की भी जानकारी मिली. डेटा के गहन विश्लेषण से आगरा में एक बड़े रैकेट के बारे में जानकारी मिली. जांच से जुड़े एक अधि‍कारी बताते हैं, “दवा कारोबारी अक्सर कंप्यूटर और लैपटाप का डेटा डिलीट करते रहते हैं. फाइलों को बदलते (टैंपर्ड) करते हैं. लेकिन इन गतिविधियों की एक रूट फाइल बनती रहती है. विशेषज्ञ इसके सहारे कंप्यूटर की पूरी हिस्ट्री खोज कर पूरे रैकेट के बारे में जानकारी हासिल की गई.”

इसी दौरान कुछ दिन पहले नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने आगरा के बल्केश्वर से दवा तस्करों को गिरफ्तार कर उनसे कई जानकारियां हासिल की थीं. इसी के आधार पर पंकज गुप्ता के नए गोदाम की जानकारी मिली थी. औषधि निरीक्षक नरेश मोहन दीपक के अनुसार, पकड़े गए ड्रग तस्कर अमन और सूर्यकांत से पूछताछ में खुलासा हुआ कि आगरा गैंग के सात तस्कर नौ राज्यों में दवाइयों की तस्करी कर रहे हैं. इनके गोदाम आगरा शहर की घनी बस्तियों में हैं. ये तस्कर अपनी दवाओं का गोदाम चलाने के लिए प्रभावशाली लोगों के मकान किराए पर लेते हैं. इसके लिए ये लोग मकान मालिक को मुंहमांगा किराया देते हैं. गिरफ्तार तस्करों का गोदाम पांच साल से कमला नगर में भाजपा की कार्यकर्ता के मकान में चल रहा था.

पकड़े गए तस्करों से पुलिस और एनसीबी को मिली जानकारी के अनुसार, आगरा गैंग के सात तस्कर देश के नौ राज्यों में नशे की दवाइयां भेजने के लिए दो कोरियर कंपनियों की मदद ले रहे थे. इन कोरियर कंपनियों पर भी बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है. आगरा में पिछले दो साल में 250 करोड़ की नशे की और नकली दवाइयां मिल चुकी हैं. यूपी के औद्योगिक प्रशासन विभाग के एक अधि‍कारी बताते हैं कि आगरा देश का एक बड़ा पर्यटक केंद्र हैं और यहां पर काफी संख्या में विदेश पर्यटक आते हैं जिनमें से कई नशे के आदी होते हैं. इन्हीं पर्यटकों की डिमांग पर ड्रग तस्कर नशीली दवाएं मुहैया कराते हैं. वर्ष 2017 में पंजाब के कई जिलों में नशीली दवाओं की बड़ी खेप पकड़े जाने के बाद से आगरा के ड्रग तस्करों का नाम सामने आया था. इसकी जांच के बाद पंजाब पुलिस ने पर्दाफाश किया था कि तस्करों के गिरोह का नाम “आगरा गैंग” है. यह गैंग दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी बंगाल और बिहार में नशे की दवाइयां सप्लाई करता है. पुलिस अधि‍कारियों के मुताबिक, आगरा की दूसरे प्रदेशों से सड़क मार्ग की आसान कनेक्ट‍िविटी ड्रग रैकेट को आपरेट करने में सहायक साबित हो रही है.

जांच में यह बात सामने आई है कि आगरा गैंग के तस्कर नशे की और नकली दवाइयों का आगरा में भंडारण करते हैं. ये दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद आदि जगहों से लाई जाती हैं. आगरा में गैंग के बड़े गोदाम हैं. ये सिकंदरा, फ्री गंज, बल्केश्वर, यमुना पार में पकड़े जा चुके हैं. यहां से दवाइयों को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार, गुजरात में भेजा जाता है. ड्रग विभाग की जांच में यह सामने आ चुका है कि नकली और नशे की दवाइयों का धंधा फर्जी बिलों पर किया जा रहा है. इसमें कार्रवाई के लिए यूपी के औषधि‍ प्रशासन विभाग ने जीएसटी के अधिकारियों की मदद मांगी गई है. पिछले दिनों दिल्ली और राजस्थान में पकड़ी गई अवैध गर्भपात किटों के मामले में भी यही बात सामने आई है कि इन्हें फर्जी बिलों पर भेजा गया था. इसकी जांच चल रही है.

जिला आगरा केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आशू शर्मा का आरोप है कि ड्रग विभाग दवा बाजार की नामचीन दुकानों पर सर्वे कर रहा है. बाहर की टीमें पहले भी सर्वे कर चुकी हैं. मगर दलाल मध्यस्थता करा देते हैं. किसी को कानों-कान खबर नहीं लगती. दोषी छोड़ दिए जाते हैं जबकि निर्दोष छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई कर दी जाती है. केमिस्ट एसोसिएशन का आरोप है कि पहले भी एक ड्रग इंस्पेक्टर पर नकली और नशीली दवा बेचने वालों से घूस लेने का आरोप लगा था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. आरोपों को नकारते हुए आगरा के औषधि‍ निरीक्षक बताते हैं कि विभाग की सख्ती का ही नतीजा है कि आगरा में ड्रग रैकेट से जुड़े गिरोह पर सख्त कार्रवाई हो रही है.

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