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अपात्रों को ‘सम्मान’, भटक रहे किसान

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में जालसाजों ने सेंधमारी कर दी है. यूपी में ढाई लाख से अधिक अपात्र इस योजना का लाभ लेते मिले हैं. डेटा फीडिंग में गड़बड़ी के कारण यूपी के 7.5 लाख से ज्यादा किसानों को 'किसान सम्मान निधि' नहीं मिल पा रही है.

प्रतीकात्मक फोटो (रॉयटर्स)
प्रतीकात्मक फोटो (रॉयटर्स)
अपडेटेड 5 जनवरी , 2021

छोटे और सीमांत किसानों की आर्थिक मदद के लिए शुरू की गई केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में जालसाजों ने सेंधमारी कर दी है. किसान सम्मान निधि की धनराशि पाने के लिए पात्र भले से अफसरों के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन, तमाम अपात्रों के खातों में सरकारी धन पहुंच रहा है. हैरानी की बात यह है कि यूपी के मुरादाबाद में सरकारी नौकरी करने वाली लाइनपार निवासी एक महिला प्रीति शर्मा के खाते में पहली ही किस्त से धनराशि आ रही है. किसान सम्मान निधि‍ के 10 हजार रुपये उनके खाते में आ गए थे. कार्रवाई के डर से महिला ने यह धनराशि सरकारी खाते में जमा करके चालान कृषि विभाग में जमा करा दिया. मुरादाबाद में कृषि‍ विभाग ने 100 से अधिक अपात्र किसानों को नोटिस जारी किया है. इनमें से 14 किसानों ने सरकारी धन लौटा दिया है. मुरादाबाद के उप कृषि निदेशक सीएल यादव ने बताया, “14 अपात्र लोगों ने एक लाख 56 हजार रुपये की धनराशि भारत सरकार के खाते में जमा करा दी है.” पश्चि‍मी यूपी के मुरादाबाद ही नहीं बल्क‍ि पूर्वी जिले गाजीपुर में भी घोटालेबाजों ने किसान सम्मान निधि‍ योजना को चोट पहुंचा दी है. गाजीपुर के जखनियां तहसील के धामूपुर गांव के एक सहज जनसेवा केंद्र के संचालक ने गांव के लेखपाल से मिलीभगत कर अपने पिता, अपना, मां, भाई, भाभी, बहन और बहन के लड़के को भी किसान बना दिया, जबकि इनमें से किसी के पास कोई जमीन तक नहीं है. गांव में ऐसे लोगों की संख्या करीब 50 है. कृषि‍ विभाग की जांच में पता चला कि जनसेवा केंद्र संचालक ने पहले किसान सम्मान निधि योजना में फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कराया और फिर लेखपाल ने उसे वेरीफाई भी कर दिया. जांच में गांव के कुल 87 लोगों के फर्जी ढंग से किसान सम्मान निधि‍ का लाभ लेने की बात पता चली है. प्रशासन इनपर कार्रवाई करने जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिसंबर 2018 को “किसान सम्मान निधि योजना” की शुरुआत की थी. इसके तहत जरूरतमंद पात्र किसान के खाते में हर वर्ष छह हजार रुपए तीन समान किस्त में स्थानांतरित किए जा रहे हैं. किसानों के हित की इस बेहद महत्वाकांक्षी किसान सम्मान निधि योजना पर हर साल केंद्र सरकार को 75,000 करोड़ रुपये खर्च करने होते हैं. यूपी देश का सर्वाधिक आबादी वाला राज्य है. यहां के अधिकांश लोगों की रोजी-रोटी का यह महत्वपूर्ण जरिया है. स्वाभाविक रूप से किसानों की संख्या भी सर्वाधिक है. लिहाजा इस योजना का सर्वाधिक लाभ भी यूपी को मिला है. अब तक छह किश्तों के जरिए राज्य के 23,523,000 किसानों को दो-दो हजार की छह किश्तों में 22,594.78 रुपये मिल चुके हैं.

सम्मान निधि योजना के लिए किसानों को जनसेवा केंद्र के जरिए खतौनी, आधार कार्ड व बैंक पासबुक की छायाप्रति के साथ ऑनलाइन आवेदन करना होता है. किसान के आवेदन का डेटा संबंधित तहसील को भेज दिया जाता है. इसके बाद राजस्व विभाग संबंधित किसान का पात्रता की श्रेणी में सत्यापन कर अपनी रिपोर्ट जारी करता है. राजस्व विभाग की ऑनलाइन रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित किसान के बैंक खाते में सम्मान निधि की किस्त भेजी जाती है. “किसान सम्मान निधि‍ योजना” के लिए एक फरवरी 2019 तक लैंड रिकॉर्ड में पाए जाने वाले किसान को पात्र माना गया है. पति-पत्नी और 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को एक इकाई माना गया है. कृषि‍ विभाग के एक संयुक्त निदेशक बताते हैं कि सांसद, विधायक, मंत्री और मेयर को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. मल्टी टास्किंग स्टाफ/चतुर्थ श्रेणी/समूह-डी कर्मचारियों को छोड़कर केंद्र या राज्य सरकार में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को लाभ नहीं मिलेगा. सीए, वकील, आर्किटेक्ट, डॉक्टर, इंजीनियर, कहीं खेती भी करता हो उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को भी योजना के लाभ से वंचित रखने का प्रावधान किया गया है.

कृषि‍ विभाग को शि‍कायत मिलने पर हुई जांच में प्रदेश में ढाई लाख से अधिक अपात्र इस योजना का लाभ लेते मिले हैं. सबसे अधिक 66 हजार अपात्र शाहजहांपुर, 60 हजार प्रयागराज और 40 हजार प्रतापगढ़ में पाए गए हैं. बरेली में साढ़े 37 हजार अपात्र सामने आए हैं. ज्यादातर जिलों में इस गड़बड़ी के लिए लेखपालों को जिम्मेदार माना जा रहा है क्योंकि “किसान सम्मान निधि‍” के पात्र किसानों के सत्यापन का जिम्मा उन्हीं के पास है. गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद अपात्रों से रकम की वसूली के साथ ही दोषी लेखपालों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी प्रारंभ की गई है. लखनऊ में आठ किसान अपात्र पाए गए हैं. इनमें से कुछ करदाता एवं कुछ पेंशनधारक हैं, कानपुर नगर में साढ़े चार हजार अपात्र मिले हैं. चित्रकूट में 1,986, उन्नाव में 66, कन्नौज में 25, ललितपुर में 302, फर्रुखाबाद में एक, हरदोई में 600 अपात्र मिले हैं. बनारस में 17,454 अपात्र मिले हैं. गोरखपुर में 568 अपात्र मिले हैं. बदायूं में 117 अपात्र सामने आए हैं. आगरा में 700 अपात्र मिले हैं, जिनकी जांच चल रही है.

स्वेच्छा से धनराशि‍ लौटा रहे अपात्र

“किसान सम्मान निधि‍” में गलत ढंग से लाभ रहे बड़ी संख्या में स्वेच्छा से इस योजना के तहत ली गई धनाराशि‍ लौटाने को राजी हुए हैं. एक सितंबर, 2020 को राज्य के कृषि‍ विभाग की ओर से एक आदेश जारी हुआ था कि “प्रधानमंत्री किसान निधि‍ योजना” के तहत ऐसे अपात्र किसान जो योजना का लाभ ले रहे हैं वे स्वेच्छा से अपनी ली गई धनराशि‍ केंद्र सरकार को लौटा सकते हैं. वाराणसी के जिला कृषि‍ अधि‍कारी सुभाष मौर्य बताते हैं कि बड़ी संख्या में अपात्र किसान अपनी धनराशि‍ लौटाने के लिए आगे आए हैं. ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से धनराशि‍ लौटाने की व्यवस्था है. भारत सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन धनराशि‍ जमा कर उसकी एक प्रति उपनिदेशक कार्यालय में जमा करना होगा. इसके अलावा कृषि‍ विभाग से चालान वेरिफाई कराकर स्थानीय स्टेट बैंक आफ इंडिया में भी धनराशि‍ जमा करा सकते हैं. ऐसा न करने वाले अपात्र किसानों पर भूराजस्व की भांति वसूली की जाएगी. कृषि‍ निदेशक अजित प्रकाश बताते हैं, “मेरी जानकारी में किसान सम्मान नि‍धि‍ में कहीं भी गड़बड़ी की बात सामने नहीं आयी है. अगर ऐसी कोई भी शि‍कायत आती है तो दोषि‍यों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

डेटा फीडिंग में भी गड़बड़ी

डेटा फीडिंग में गड़बड़ी के कारण यूपी के 7.5 लाख से ज्यादा किसानों को किसान सम्मान निधि नहीं मिल पा रही है. लखनऊ मंडल के लखीमपुर जिले की धौरहरा तहसील के ईसानगर निवासी संगमलाल मिश्रा छोटे किसान हैं. उनको किसान सम्मान निधि एक बार भी नहीं मिली. संगमलाल ने जब जाकर किसान सम्मान निधि‍ न मिलने की पड़ताल की तो पता चला कि केंद्र सरकार के पोर्टल में उनका गांव गोला तहसील में दर्ज हो गया है. इस वजह से न तो उनका सत्यापन हुआ और न ही पैसा मिला. डेटा फीड करने में हुई गड़बड़ी से कई किसान “किसान सम्मान निधि‍ योजना” से वंचित रह गए हैं. किसानों के आधार नंबर नहीं लगे हैं. कुछ के बैंक खाते गलत दर्ज हैं. इस गड़बड़ी को ठीक कराने में तकनीकी खामी आड़े आ रही है. केंद्र सरकार के पोर्टल में दर्ज गलत डेटा को कृषि‍ मंत्रालय से ही ठीक कराया जा सकता है. हालांकि देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव, कृषि‍ विभाग को कई जिलों से किसान सम्मान निधि‍ से वंचित लोगों की शि‍कायतें मिलने पर उन्होंने कैंप लगाकर इस समस्या को दूर करने का आदेश सभी जिलों को दिया है. 31 मार्च तक सभी पात्र किसानों के खाते में पैसे पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है. कुछ जगहों पर ऐसे प्रवासी श्रमिक जिनकी जमीन प्रदेश में तो है लेकिन वह रहते कहीं और हैं, ऐसे किसानों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर उनसे कागजात मंगाए जा रहे हैं ताकि उन्हें किसान सम्मान निधि‍ का लाभ दिलाया जा सके.

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