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बिहार एनडीए में अपना-अपना सहयोगी बनाने की छूट

बिहार में उलझता ही जा रहा है एनडीए में सीट बंटवारे का पेंच. जिन दलों की दोस्ती भाजपा से है उससे जद (यू) असहज है, तो जिनसे जद (यू) की दोस्ती है वे भाजपा को रास नहीं आ रहे.

जीतन राम मांझी की पार्टी लोजपा के खिलाफ उम्मीदवार उतार सकती है
जीतन राम मांझी की पार्टी लोजपा के खिलाफ उम्मीदवार उतार सकती है
अपडेटेड 18 सितंबर , 2020

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में कितने दल साथ हैं इसका कोई ठोस उत्तर अभी तक नहीं है. जिनकी दोस्ती भाजपा से है उससे जद (यू) असहज है और जिनसे जद (यू) की दोस्ती है वह भाजपा को रास नहीं आ रहा है. ऐसे में सबसे बड़ा पेंच यही है कि एनडीए के घटक दल चुनाव में मिल कर एक दूसरे के प्रत्याशी को जिताने के लिए कितना और किस हद तक प्रयास करेंगे, इसको लेकर न तो भाजपा आश्वस्त है न ही जद (यू).

लोकज नशक्ति पार्टी (लोजपा) और जद (यू) सार्वजनिक रूप से यह कह रहे हैं कि बिहार में लोजपा का गठबंधन भाजपा से है जद (यू) से नहीं. इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम कह रही है कि उसका गठबंधन जद (यू) से है न कि भाजपा से. इसलिए सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला पेश किया जा रहा है उसके तहत यह कहा जा रहा है कि जद (यू)-भाजपा बिहार की 243 सीटों को आपस में बांट लें और फिर दोनों दल अपने-अपने कोटे की सीट उन दलों से साझा करें जिनसे दोस्ती गांठनी है या जो मौजूदा दोस्त हैं. मतलब बिहार में एनडीए का मतलब फिलहाल दो दल भाजपा-जद (यू) ही हैं.

जद (यू) महासचिव के.सी. त्यागी कहते हैं, "यह सच है कि बिहार में लोजपा, राजग का घटक दल नहीं है अलबत्ता वह भाजपा की सहयोगी है." जद (यू) के एक दूसरे नेता कहते हैं कि अगर भाजपा या जद (यू), लोजपा या हम के अलावा भी किसी और को अपना सहयोगी बनाना चाहते हैं तो इसमें कोई हर्ज नहीं है. बशर्ते, दोनों ही दल (भाजपा-जदयू) अपने कोटे की सीट अपने सहयोगी को दें. हालांकि इस फॉर्मूले के तहत अगर जद (यू)-भाजपा दोनों ही चुनाव लड़ते हैं तो लाभ से ज्यादा नुक्सान के आसार हैं. ऐसे में भाजपा का कॉडर, जद (यू) के सहयोगी दलों के प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे, यह कहना मुश्किल है. इसी तरह जद (यू), भाजपा के सहयोगी दलों के उम्मीदवार को जिताने की कोशिश करेंगे या नहीं, यह भी कहना मुश्किल है.

बिहार भाजपा के महासचिव देवेश कुमार कहते हैं, "हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कह चुके हैं कि भाजपा को एनडीए में शामिल सभी दलों के प्रत्याशियों को जिताने के लिए प्रयास करना है." लेकिन देवेश इस मुद्दे पर चुप्पी साध जाते हैं कि अगर ऐसा है तो फिर लोजपा, नीतीश के खिलाफ क्यों बोल रही है या मांझी, लोजपा से असहज क्यों हैं? एक बड़ा पेंच यह भी आ रहा है कि एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ ही इस गठबंधन में शामिल दल अपने प्रत्याशी उतारने के लिए ताल ठोक रहे हैं. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान 134 सीटों पर चुनाव लड़ने का संकेत दे रहे हैं. मतलब वह जद (यू) के सहयोगी नहीं हैं सिर्फ भाजपा से उनकी दोस्ती है. तो ऐसे में वह जद (यू) प्रत्याशी के खिलाफ अपने दल का उम्मीदवार खड़ा करने की बात कर रहे हैं. इसी तरह जीतन राम मांझी भी ताल ठोक रहे हैं कि वह लोजपा के प्रत्याशी के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार सकते हैं.

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