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अयोध्या में मस्जि‍द निर्माण में आर्थि‍क सहयोग की गाइडलाइन तय

मस्जिद निर्माण के लिए बने ट्रस्ट के प्रवक्ता के मुताबिक, मस्जिद में ब्याज (इंटरेस्ट), शराब, जमाखोरी और देश के कानून के खिलाफ जाकर कमाया गया पैसा नहीं लगाया जाएगा.

धन्नीपुर गांव में एक दरगाह के पास मस्जिद बनेगा
धन्नीपुर गांव में एक दरगाह के पास मस्जिद बनेगा
अपडेटेड 16 सितंबर , 2020

लखनऊ से गोरखपुर जाने वाले फोरलेन हाइवे पर अयोध्या के सोहावल ब्लॉक में पड़ने वाले दूसरे टोल प्लाजा को पार करते ही रिहाइशी इलाके शुरू हो जाते हैं. यहां से करीब डेढ़ किलोमीटर आगे बढ़ते ही बाईं ओर मौजूद रौनाही थाना को एक नई पहचान मिल गई है. इसी थाने के ठीक पीछे धन्नीपुर गांव की वह पांच एकड़ जमीन है जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पांच फरवरी को मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पक्ष में आवंटित किया है. 29 जुलाई को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी मस्जि‍द निर्माण के लिए नौ सदस्यीय ट्रस्ट की घोषणा कर दी. इस ट्रस्ट का नाम 'इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट' रखा गया है. 

बोर्ड की ओर से गठित ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने मस्जिद निर्माण में आर्थिक सहयोग की गाइडलाइन तय कर दी है. ट्रस्ट के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन बताते हैं, “मस्जिद का निर्माण सिर्फ जायज पैसों से ही करवाया जा सकता है. मस्जिद के लिये सिर्फ पवित्र धन जमा किया जाएगा. मस्जिद में ब्याज (इंटरेस्ट), शराब, जमाखोरी और देश के कानून के खिलाफ जाकर कमाया गया पैसा नहीं लगाया जाएगा.” अतहर हुसैन के मुताबिक, ब्याज, शराब कारोबार और जमाखोरी से कमाया गया पैसा इस्लामी शरीयत में 'हराम' है. उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यापारी किसान से आलू खरीद कर आमदनी बढ़ाने के लिए स्टोर करता है तो शरियत में ये आमदनी जायज नहीं है, हां अगर यही काम किसान खुद करता है तो इसकी मनाही नहीं है. 

अतहर हुसैन ने बताया कि धन्नीपुर में होने वाले 5 एकड़ जमीन पर निर्माण के लिए दो बैंक खाते खोले गए हैं. आइसीआइसीआइ बैंक की लखनऊ के हेवेट रोड स्थित ब्रांच में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के नाम से खाता खोला गया है, जिसकी संख्या 696105600633 है. वहीं लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एचडीएफसी की विभूतिखंड ब्रांच में दूसरा खाता खोला गया है, जिसकी संख्या 50200051385575 है.

अतहर हुसैन ने बताया कि दो बैंक अकाउंट खोलने का मकसद मस्जिद निर्माण के लिए अलग धन तथा अस्पताल, लाइब्रेरी, कम्यूनिटी किचन के साथ रिसर्च सेंटर के लिए अलग धन जमा करना है. उन्होंने बताया कि जल्द ही ट्रस्ट की वेबसाइट और पोर्टल तैयार होगा. इसके बाद तय होगा कि किस अकाउंट में मस्जिद और किसमें अस्पताल के लिए सहयोग लेना है? उन्होंने बताया कि बैंक खाते पोर्टल से लिंक किए जाएंगे. इसके बाद जनता से सहयोग मांगा जाएगा.

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