यूपी में पंचायत चुनाव की तारीख भले ही घोषित न हुई हो लेकिन जैसे जैसे समय बीत रहा है पंचायत पर कब्जे की जंग अपराध की शक्ल लेने लगी है. 'गांव की सरकार' पर काबिज होने की होड़ अपराध का सहारा लेने से भी नहीं चूक रही है. पंचायत चुनाव से पहले आपसी विवाद के बढ़ते मामले कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बनते नजर आ रहे हैं. ऐसा ही एक वाकया अमेठी जिले के मुंशीगंज इलाके में 29 अक्तूबर की रात सामने आया. यहां के बंदोइया गांव की दलित प्रधान के पति को गुरुवार की रात पेट्रोल डालकर जला दिया गया. अगले दिन एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. ग्राम प्रधान छोटका ने तहरीर में आरोप लगाया है कि गांव के कृष्ण कुमार उर्फ पप्पू तिवारी की चहारदीवारी में मेरे पति अर्जुन प्रसाद कोरी को पेट्रोल डालकर जिन्दा जला दिया गया है. जब सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में हम लोग पहुंचे तो गंभीर हालात में पति ने बताया कि गांव के कृष्ण कुमार तिवारी, रविशंकर, आशुतोष, राजेश मिश्रा, संतोष तिवारी लगातार अवैध वसूली का दबाव बना रहे थे. पैसा न मिलने पर सभी लोगों ने मिलकर पति को जिंदा जला दिया. पुलिस ने प्रधान की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर कृष्ण कुमार तिवारी और संतोष तिवारी को गिरफ्तार कर लिया है. एक नाबालिग आरोपित भी पुलिस की गिरफ्त में है. तनाव देखते हुए गांव में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है.
पंचायत चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है यूपी के गांवों में ग्राम प्रधान के खिलाफ शिकायतों की भरमार हो गई है. इसी तरह अमेठी के बंदोइया गांव में विकास कार्यों में अनियमितता का आरोप लगातार आरोपी पक्ष ग्राम प्रधान का विरोध कर रहा था. तहसील दिवस से लेकर जिला मुख्यालय तक प्रार्थना पत्र देकर जांच की मांग की गई थी. इसी बीच प्रधान पति को जिंदा जला देने की घटना को पंचायत चुनाव से पहले मची होड़ के आपराधिक रुख अख्तियार होने के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि इस घटना का किसी को अंदेशा नहीं था.
यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. राज्य निर्वाचन आयोग पहली अक्तूबर से 12 नवंबर के बीच पंचायत चुनाव की मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्यक्रम संचालित कर रहा है. मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 29 दिसंबर को किया जाएगा. यूपी में 57,758 ग्राम पंचायत, 821 क्षेत्र पंचायत और 75 जिला पंचायत हैं. इनके चुनाव इसी साल के आखिर तक होने थे लेकिन कोरोना महामारी के कारण तैयारी पिछड़ गई. इसके चलते सरकार ने छह माह तक पंचायत चुनाव की तारीख टाल दी थी. स्थितियां ठीक रहीं तो वर्ष 2021 के पहली छमाही में पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं. पंचायत चुनाव की तारीखें अभी भले ही अधर में हों लेकिन शिकायतों की गूंज से गांवों की सियासी तासीर जरूर गरमा गई है. चुनाव लड़ने की हसरत पाले लोग भ्रष्टाचार के मुद्दे को हथियार बनाकर ग्राम प्रधानों की घेराबंदी में जुट गए हैं. अमेठी के वरिष्ठ वकील सूर्य प्रताप वर्मा बताते हैं, “हर ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान के खिलाफ महौल बनाने के लिए उन लोगों ने प्रयास शुरू कर दिए हैं जो अगला चुनाव लड़ने की हसरत पाले हुए हैं. इसी रस्सकशी में बात बढ़ने पर लोग कानून को भी अपने हाथ में लेने से नहीं चुक रहे हैं. जैसे-जैसे पंचायत चुनाव का समय और नजदीक आएगा ऐसी आपराधिक घटनाएं और बढ़ेंगी. ऐसे में योगी सरकार की कानून व्यवस्था की असल परीक्षा होगी.”
पंचायत चुनाव के लिए संभावित समय जैसे नजदीक आ रहा है अपराध की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं. मेरठ जिले में जनवरी से सितंबर के बीच में प्रधानों के खिलाफ 195 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं. कमिश्नर कार्यालय में 35, जिलाधिकारी कार्यालय में 85, आनलाइन 55 तथा सीडीओ कार्यालय में भी बड़ी संख्या में शिकायतें पहुंची हैं. अधिकांश शिकायतों की जांच की जिम्मेदारी जिला पंचायत राज अधिकारी को सौंपी गई है. मेरठ की सीडीओ ईशया दुहन बताती हैं कि ग्राम प्रधानों के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतें मिल रही हैं. एक-एक शिकायत की गंभीरता से जांच कराई जा रही है. कुछ मामलों में शिकायतें ठीक मिली हैं जबकि अधिकांश मामलों में यह गलत पाई गई हैं. उधर, गृह विभाग से मिले निर्देशों के बाद यूपी के हर जिले में पुलिस ने पंचायत चुनाव से जुड़े पूर्व और संभावित प्रधान प्रत्याशियों की निगरानी शुरू कर दी है.
पंचायत चुनाव के दौरान अपराध के मामले बढ़ने की आशंका को भांपते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 18 अगस्त को अधिकारियों को निरोधत्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया था. अधिकारियों से आपसी रंजिश, जिला पंचायत चुनाव से संबंधित रंजिश, विवाद या ऐसे अन्य मामलों अभियान के तहत चिन्हित करने तथा उनमें समय रहते प्रभावी निरोधात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है. आरोपितों को भारी मुचलके पर पाबंद करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए हैं. जिन लोगों को पहले पाबंद किया जा चुका है और वे शांति भंग कर रहे हैं उनके विरुद्ध भी अभियान के तहत मुचलके व बंधपत्र राशि की वसूली कराने को कहा गया है. मुख्यमंत्री के निर्देशों का अधिकारी कितनी कड़ाई से पालन करा पाते हैं उसी से पंचायत चुनाव के दौरान यूपी की कानून व्यवस्था की स्थिति तय होगी.
पंचायत चुनाव की होड़ में शुरू हुए अपराध
#गाजीपुर—सोमवार 26 अक्तूबर की रात साढ़े आठ बजे बाइक सवार बदमाशों ने गाजीपुर के सादात तृतीय के जिला पंचायत सदस्य मारकंडेय सिंह को गोली मार दी. निजी अस्पताल में भर्ती मारकंडेय सिंह की हालात नाजुक बनी हुई है. पुलिस इस वारदात को पंचायत चुनाव से जोड़कर भी पड़ताल कर रही है.
#महोबा—महोबा के अजनर थाना क्षेत्र के अकौना ग्राम में 11 अक्तूबर की दोपहर ग्राम प्रधान राजू कुशवाहा की चुनावी रंजिश में गोली मार कर हत्या कर दी गई. पुलिस ने पूर्व प्रधान सुखराम राजपूत समेत आठ लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्रवाई की है.
#बस्ती—बस्ती के पैकोलिया थाना क्षेत्र के भैरोपुर गांव में 8 अक्तूबर की सुबह वर्चस्व को लेकर प्रधान और उनके विपक्षी आमने-सामने आ गए थे. इस दौरान कई राउंड हवाई फायरिंग हुई और लाठी डंडे भी चले. इसमें 16 लोग घायल हुए. पुलिस ने दो पक्षों के 28 लोगों पर केस दर्ज किया है.
#जौनपुर—जौनपुर में सरपतहां क्षेत्र के गलगला शहीद बाजार में 17 सितंबर की रात बदमाशों ने ग्राम प्रधान बसंत लाल की गोली मार कर हत्या कर दी. हत्या को गांव की सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है. पुलिस ने दो लोगों पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्रवाई की है.
#आजमगढ़—आजमगढ़ के निजामाबाद के नेवादा गांव में रहने वाले बीडीसी सदस्य सुरेंद्र यादव की 24 अगस्त को गोली मार कर हत्या कर दी गई. पंचायत चुनाव से जोड़कर देखे जा रहे इस हत्याकांड के एक नामजद आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
#आजमगढ़—आजमगढ़ के तरवां थाना क्षेत्र के बांसगांव के प्रधान सत्यमेव जयते उर्फ पप्पू राम को 14 अगस्त को घर से बुलाकर गोलियों से भून दिया गया. प्रधान की हत्या से पूरे जिले में आक्रोश फैल गया. इस मामले में आरोपितों की गिरफ्तारी की गई है.
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