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बिहार

Saharsa: बिहार का ऐसा गांव, जहां 130 साल से चल रही धर्मसभा की परंपरा

130 से चल रही धर्मसभा की परंपरा .
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कोसी की काशी कहे जाने वाले मिथिलांचल की तीन पंचायत और 40 हजार आबादी वाले सहरसा के बनगांव की धर्मसभा कभी नहीं रुकी. 130 वर्षों से लगातार चली आ रही इस धर्मसभा पर कुदरत के कहर का भी कभी कोई असर नहीं पड़ा. संस्कार, आचरण और सामाजिक कर्तव्यों की चर्चा को लेकर होने वाली इस धर्मसभा का आयोजन प्रत्येक रविवार को होता है. (रिपोर्टर धीरज कुमार)

130 से चल रही धर्मसभा की परंपरा .
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1891 ई. से शुरू हुई धर्मसभा

बिहार के मिथिलांचल के सहरसा बनगांव की इस धर्मसभा की शुरुआत 1891 ईसवी में हुई. इसके बाद से इस धर्मसभा के आयोजन में कभी कोई अड़चन नहीं डाल सका. 1984 में आई बाढ़ हो या फिर 2008 में बाढ़ की भयान​क विभीषिका. ये धर्मसभा कभी नहीं रुकी. ये धर्मसभा हर रविवार को बिना किसी रोक के लगातार होती आ रही है. कई बार मौसम ने अपना तांडव दिखाया तो कभी छह-सात किलोमीटर दूर बहने वाली कोसी नदी ने अपनी विकराल धाराओं से इस गांव को तबाह किया. लेकिन इस सनातन धर्मसभा का सिलसिला बिना रुके चलता रहा. 
 

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धर्मसभा के अध्यक्ष हैं भगवान 

धर्मसभा की खासियत यह है कि इंसान नहीं बल्कि भगवान लक्ष्मी नारायण इस धर्मसभा के अध्यक्ष है. हां एक व्यास जरूर होते हैं जो धर्मसभा की कार्रवाई को एक तय क्रम में आगे बढ़ाते हैं. इसमें वो वेद, वेदांत, पुराण और स्मृति का पाठ करते हैं और फिर उसकी व्याख्या भी करते हैं. इसके बाद धर्म शास्त्रों के ज्ञान के माध्यम से सामाजिक शिक्षा दी जाती है. फिर धर्मसभा में मौजूद गणमान्य लोगों से भी उनके विचार रखने को कहा जाता है.

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कभी नहीं हुआ कोई अपराध 

करीब 130 साल पहले इस धर्म सभा की शुरुआत इलाके के संत लक्ष्मी नाथ गोसाईं की प्रेरणा पर सत्यसंध बबुआ खां नाम के एक गांव के शख्स ने की थी. पूरी कार्रवाई को सालों से एक रजिस्टर में लाल स्याही से दर्ज किया जाता रहा है. आप आज वर्षों पुरानी धर्मसभा की कार्यवाही के बारे में कुछ जानना चाहें, तो उसके रिकॉर्ड भी आप यहां देख सकते हैं. खास बात ये भी है कि इस गांव में आज तक चोरी, लूट डकैती, राहजानी जैसी एक भी वारदात नहीं हुई.

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देश को दिए कई आईएएस, आईपीएस

यहां के लोग कहते हैं कि ये गांव धर्म-कर्म से जुड़ाव ही नहीं बल्कि सारक्षरता के मामले में भी काफी आगे है. इस गांव ने एक दो नहीं बल्कि कई आईएएस, आईपीएस देश को दिए हैं. इस गांव से आईआईटी जैसे संस्थान से पढ़ाई करने वाले इंजीनियरों की भी कमी नहीं है. वहीं अमेरिका, जैसे देश में रिसर्च करने वाले साइंटिस्टों की संख्या भी कई है.

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