पूरे सात महीने की बंदी के बाद गुरुवार को भारत-नेपाल सीमा खुल गई. बिहार के रक्सौल और आस पास के लोगों में इस खबर के साथ खुशी की लहर दौड़ गई. सैकड़ों की संख्या में लोग सीमापार के अपने प्रियजनों से मिलने की उम्मीद में स्थानीय बीरगंज बॉर्डर की तरफ दौड़ पड़े. लेकिन यहां जो हुआ उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. भारतीय लोगों को नेपाल के सीमा सुरक्षा बलों ने रोक दिया. बताया कि बॉर्डर खोलने के संबंध में उन्हें कोई भी निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है.
(रिपोर्ट- गणेश शंकर)
दरअसल, बिहार बॉर्डर पर रक्सौल के बीरगंज स्थित भारत-नेपाल सीमा कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर 22 मार्च से ही बंद चल रहा है. आवश्यक सेवाओं वाले मालवाहक वाहनों को छोड़ अन्य किसी को भी आने-जाने की अनुमति नहीं है. रक्सौल के आव्रजन विभाग के अफसर ने बताया कि गृह मंत्रालय के 21 अक्टूबर के एक आदेश के अनुपालन में गुरुवार की सुबह भारत ने अपनी सीमा खोल दी.
दूसरी तरफ नेपाल के पर्सा जिले के जिलाधिकारी अस्मान तामांग तथा एसपी राजेन्द्र खड़का ने बताया कि उनकी सरकार ने सीमा को आमजन के लिए खोले जाने के संबंध में कोई आदेश नहीं दिया है. इसलिए उनके तरफ से सीमा पर बंदी बरकरार है. पूर्व के एक आदेश में नेपाल सरकार ने 15 नवंबर तक बॉर्डर सील रखने का आदेश दिया है, जिसका अभी अनुपालन चल रहा है.
गुरुवार को अचानक से सैकड़ों की संख्या में भारतीय बॉर्डर तक पहुंच गए. नेपाल के सीमा सुरक्षा बलों द्वारा रोके जाने पर दोनों पक्षों में विवाद से तनाव पैदा हो गया. हालांकि नेपाली अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जब उन्हें ऊपर से आदेश नहीं मिलता, वह सीमा में प्रवेश नहीं दे सकते. फिलहाल तनाव के बावजूद भारत के व्यापारियों में भारतीय सीमा खोले जाने से खुशी है. माना जा रहा है कि बिहार में चुनाव एवं आगामी दशहरा, दीपावली और छठ पूजा के मद्देनजर ही सीमा खोली गई है लेकिन नेपाल सरकार की सख्ती ठीक नहीं है.
अगर नेपाल बार्डर भी खुलता है तो वहां के लोग भारत से दशहरा पर्व के लिए सस्ते में सामान ले पाएंगे. इधर, भारत-नेपाल संबंधों के विशेषज्ञ चंद्र किशोर झा कहते हैं कि यदि सीमा पर आने-जाने की छूट मिलती है तो इससे दोनों देशों के संबंधों को मजबूती मिलेगी. नेपाल सरकार को जनहित को ध्यान में रखते हुए अपने व्यवहार में नरमी लानी चाहिए.