भगवान श्रीकृष्ण और जामवंती के पुत्र सांब द्वारा बनवाये गये विश्व प्रसिद्ध उलार सूर्य मंदिर पर छठ पूजन की विशेष मान्यता है. कहा जाता है कि यहां छठ पर पूजन करने से भगवान भास्कर हर मनोकामना को पूरी करते हैं, तो वहीं यहां के तालाब में डुबकी लगाने से किसी भी प्रकार का कुष्ठ रोग सही हो जाता है. इस बार कोविड-19 के कारण छठ को लेकर जिला प्रशासन की ओर से गाइडलाइन जारी कर दिये हैं. हालांकि इस बार यहां मेले का आयोजन नहीं होगा, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई है.
(इनपुट- मनोज कुमार सिंह)
पटना के पालीगंज और दुल्हिनबाजार के बीच में स्थित ऐतिहासिक उलार (ऑलार्क) सूर्य मन्दिर पर छठ पर्व को लेकर श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो चुका है. यहां बिहार ही नहीं, बल्कि देश के कई अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं. इस बार कोरोना काल में प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत ही लोगों को मंदिर में एंट्री मिलेगी. यहां दो गज दूरी का पालन करते हुए श्रद्धालु पूजा कर सकेंगे.
इसके लिए प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. हालांकि हर वर्ष की तरह लगने वाला मेला इस बार नहीं लगेगा. इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. मान्यता है, कि उलार (ऑलार्क) सूर्य मन्दिर में छठ व्रत करने और तालाब में अर्घ्य देने से मनोकामना पूर्ण होती है. कहा जाता है तालाब में स्नान करने से कुष्ठ जैसे असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है.
उलार (ऑलार्क) सूर्य मन्दिर का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है. यहां के महंत अवध बिहारी दास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण और जामवंती के पुत्र सांब बेहद सुंदर थे. एक दिन वे सरोवर में युवतियों के साथ स्नान कर रहे थे. उस समय वहां से महर्षि गर्ग गुजर रहे थे. राजा साम्ब ने महर्षि गर्ग का उपहास उड़ाया, जिसके बाद महर्षि गर्ग ने राजा सांब को कुष्ठ रोग होने का श्राप दे दिया. इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्य की उपासना करने की सलाह दी, जिसके बाद राजा सांब ने 12 स्थानों पर सूर्य की उपासना की, जो बाद में 12 अर्क (सूर्य स्थली) के रूप में प्रतिष्ठापित हुए.
पालीगंज के उलार सूर्य मंदिर सहित 6 सूर्य स्थली बिहार में हैं, जबकि छह अन्य ओडिशा में कोणार्क, औरंगाबाद के देव में देवार्क, पंडारक में पुण्यार्क, औगारी में औंगार्क, काशी में लोलार्क, सहरसा में मार्कण्डेयार्क, कटारमल में कटलार्क, उत्तराखंड में अलमोरा, बड़गांव में बालार्क, चन्द्रभागा नदी के किनारे चानार्क, पाकिस्तान में आदित्यार्क और गुजरात में मोढ़ेरार्क के रूप में सूर्य स्थली का निर्माण हुआ.