चम्पारण सत्याग्रह के 100वें साल के अवसर पर मोतिहारी में पदयात्रा का आयोजन किया गया. पदयात्रा का नेतृत्व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. पदयात्रा चंद्रहिया गांव से शुरू होकर मोतिहारी के गांधी उद्यान में समाप्त हुई.
चंद्रहिया का ऐतिहासिक महत्व
आपको बता दें कि, चंद्रहिया का ऐतिहासिक महत्व है. गांधी जी जब 15 अप्रैल 1917 को मोतिहारी पहुंचे तो उसी रात उन्हें पता चला कि जसौली पट्टी में अंग्रेजों ने किसानों पर अत्याचार किया है. गांधी जी किसानों से मिलने हाथी पर सवार होकर निकले जब चंद्रहिया पहुंचे तो अंग्रेज दारोगा ने गांधी जी से आकर कहा कि मोतिहारी कलेक्टर ने उन्हें याद किया है.
गांधी जी चंद्रहिया से वापस लौट गए. रास्ते में डीएसपी ने उन्हें कलेक्टर का नोटिस दिया था जिसमें कहा गया था कि वो चम्पारण छोड़ दें. गांधी जी ने इसके खिलाफ एसडीएम की अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ी और सत्य के आधार पर उनकी जीत हुई और किसान निलहों के अत्याचार से मुक्त हुए.
सम्मान समारोह में नहीं आए गृहमंत्री राजनाथ
सोमवार को महात्मा गांधी के चम्पारण यात्रा के 100वें साल के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में जमकर राजनीति हुई. इस कार्यक्रम में गृहमंत्री राजनाथ सिंह को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन ऐन वक्त पर वो नहीं आए साथ ही एनडीए के अन्य नेताओं ने भी इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया.
इस कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके सहयोगी लालू प्रसाद यादव ने प्रमुखता से शिरकत की. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने देश के स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित भी किया.