देश के सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य बिहार में अब रोटी, कपड़ा और मकान के बाद मोबाइल फोन प्राथमिकता बनती जा रही है. औसतन प्रत्येक परिवार पर दो मोबाइल फोन सिम कनेक्शन हैं.
बिहार के आर्थिक सर्वेक्षण 2013 के अनुसार 2011-12 में 38 जिलों वाले इस राज्य में 4.6 करोड़ फोन कनेक्शन थे, जिसमें से 98 प्रतिशत मोबाइल सिम वाले कनेक्शन थे. राज्य की 10.38 करोड़ आबादी में यदि अनुमानत: दो करोड़ परिवार हैं तो बिहार में दो मोबाइल सिम कनेक्शन का औसत निकलता है.
निजी टेलीकाम ऑपरेटरों के आने के बाद बिहार में लगातार फोन कनेक्शन घनत्व बढ़ता जा रहा है और यह राष्ट्रीय औसत कोर भी पार कर गया है.
2012 में बिहार में शहरों में प्रति 100 व्यक्ति पर 196 फोन कनेक्शन थे, जबकि राष्ट्रीय औसत 169 का था. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत से बिहार पीछे है. 2012 में ग्रामीण क्षेत्रों में देश में फोन कनेक्शन घनत्व, जहां 39.22 था वहीं यह बिहार में 25.58 था. फोन कनेक्शन घनत्व प्रति सौ व्यक्ति पर टेलीकाम सेवा की उपलब्धता को प्रदर्शित करता है जिसमें मोबाइल फोन और लैंडलाइन कनेक्शन शामिल हैं.
इस घनत्व में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है. 2007-08 में जहां बिहार में फोन कनेक्शन घनत्व करीब 96 लाख था, वहीं 2008-09 में काफी तेजी से बढकर 1.72 करोड़ हो गया. 2009-10 में यह 3.07 करोड़ और 2010-11 में 4.47 करोड़ हो गया.
कुछ विशेषज्ञ इसे एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन मान रहे हैं और इसे आर्थिक तरक्की से भी जोड़कर देखा जा रहा है. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इस परिवर्तन के सामाजिक पहलू पर कहते हैं कि मोबाइल फोन सस्ता और सुविधाजनक हो गया है. मोबाइल फोन लोगों के पहुंच के दायरे में हैं और उनकी संख्या राज्य में बढ़ती जा रही है.
उपमुख्यमंत्री के अनुसार ऐसा लगता है कि रोटी, कपड़ा और मकान की मूलभूत आवश्यकताओं के बाद मोबाइल फोन लोगों की प्राथमिकता बन रहे हैं. लोकसेवा के क्षेत्र में भी मोबाइल काफी उपयोगी हो गया है. सरकार ने आरटीपीएस को मोबाइल सूचना सेवा से जोड़ दिया है.