बिहार में डेंगू ने इस साल कहर बरपा दिया है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में डेंगू के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है. सिर्फ सितंबर महीने में राज्य में डेंगू के 6,146 मामले सामने आए है, जो पिछले पांच सालों में इस महीने में सबसे अधिक हैं.
राज्य में इस साल डेंगू के 6,421 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 6,146 केवल सितंबर में दर्ज किए गए हैं, यह पिछले साल सितंबर में दर्ज 1,896 से तीन गुना ज्यादा है.
शुक्रवार को राज्य में 416 डेंगू के मामले सामने आए, जिनमें सबसे अधिक मामले पटना में 177, इसके बाद मुंगेर में 33, सारण में 28, भागलपुर में 27 और बेगूसराय में 17 मामले दर्ज किए गए हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के अनुसार, इस साल 17 सितंबर तक बिहार में डेंगू से सात मौतें हुई हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल कुल 13,972 मामले सामने आए थे.
30 सितंबर तक 12 सरकारी अस्पतालों में 295 लोगों का इलाज चल रहा था, जिनमें भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 127, पावापुरी के वीआईएमएस में 39 और पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 28 लोग शामिल थे. अधिकारियों के मुताबिक, डेंगू के अभी तक चार वैरिएंट DEN-1, DEN-2, DEN-3, DEN-4 सामने आए हैं. DEN-2 को सबसे ज्यादा संक्रामक माना जाता है.
कितना खतरनाक है DEN-2 वैरिएंट
डेंगू बुखार का मुख्य लक्षण प्लेटलेट्स काउंट में कमी है. लेकिन DEN-2 वैरिएंट में मरीज को शॉक सिंड्रोम से अधिक संबंधित है और ब्लड प्रेशर में कमी, कम पेशाब, कमजोरी और चक्कर आते हैं. ऐसे में मरीज को डेंगू बुखार कम होने के बाद भी, कम से कम अगले पांच दिनों तक स्वास्थ्य जांच कराना जरूरी है.
कब फैलता है डेंगू
डेंगू संक्रमण DEN-1, DEN-2, DEN-3, और DEN-4 वायरस से फैलता है. इन चारों वायरस को सीरोटाइप कहा जाता है क्योंकि ये चारों अलग-अलग तरीके से एंटीबॉडी को प्रभावित करते हैं. आप अलग-अलग स्ट्रेन से चार बार भी डेंगू से संक्रमित हो सकते हैं. डेंगू का मौसम मानसून के बाद शुरू होता है और सर्दियों की शुरुआत तक रहता है.