मलेशिया के भारतीय दूतावास में बिहार के 67 मजदूर घर वापसी की आस में फंसे हुए हैं. बिहार के कई जिलों से नौकरी के नाम पर मलेशिया पहुंचे इन लोगों ने भूख और स्थानीय कंपनी की प्रताड़ना से परेशान होकर भारतीय दूतावास की शरण ली है.
बिहार के वैशाली जिले के चार लोग भारतीय दूतावास में शरण लिए हुए हैं. घटना की सूचना मिलने के बाद से उनके परिजनों का यहां रो-रो कर बुरा हाल है. वैशाली जिले के रोहना गांव के सुबोध सिंह, रुपेश सिंह और ठीकहा के शिवानंद सिंह और अजित कुमार स्थानीय एजेंटो के कहने पर मलेशिया नौकरी करने गए थे. विदेश में नौकरी और अच्छी तनख्वाह की आस लगाए इन लोगों के लिए मलेशिया पहुंचते ही परेशानी शुरू हो गई.
बताया जाता है कि 10 से 18 मई के बीच बिहार के कई जिलों के करीब 67 लोगों का स्थानीय एजेंट ने पटना में इंटरव्यू कराया और मलेशिया में अच्छी नौकरी की बात की थी. नौकरी के बदले हर शख्स से 70,000 रुपये भी लिए गए थे. सभी लोग पटना से चेन्नई पहुंचे जहां से सबको प्लेन से मलेशिया लाया गय. लेकिन मलेशिया पहुंचने के बाद सबको जबरन शौचालय साफ कराने और झाड़ू लगाने को मजबूर किया जाने लगा.
काम के बदले खाना और पैसे न दिए जाने और घर से पैसे मंगवाने की बात कहकर सभी मजदूर भारतीय दूतावास पहुंचे. फोन पर परिजनों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास ने वापसी के लिए उनसे 40 हजार रुपये मांगे हैं.
परिजनों का दावा है कि भारतीय दूतावास ने शरण लिए हुए लोगों से कहा है कि 4 जून तक पैसे का इंतजाम कर लें, वरना सभी को मलेशिया पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा. परिजन अब सिर्फ सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं. पूर्व स्थानीय सांसद आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस मसले पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात करके उनसे फंसे लोगों की वापसी सुनिश्चित कराने का निवेदन किया है.