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पटना एम्स ग्रामीण इलाकों में बढ़ाएगा पैठ

आखिरकार बिहार की राजधानी पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मंगलवार से पढ़ाई तो प्रारंभ हो गई लेकिन इलाज के लिए लोगों को अभी एक साल और प्रतीक्षा करनी होगी.

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आखिरकार बिहार की राजधानी पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मंगलवार से पढ़ाई तो प्रारंभ हो गई लेकिन इलाज के लिए लोगों को अभी एक साल और प्रतीक्षा करनी होगी.

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फिलहाल पटना एम्स ने एक नवीन पहल करते हुए गांवों में आपात चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण युवकों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है. पटना के एम्स का विधिवत उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने मंगलवार को किया जबकि पहली कक्षा पटना एम्स के निदेशक डॉ. जी.के सिंह ने ली.

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, 'पटना एम्स बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा. यहां पढ़ाई प्रारंभ हो गई है और जल्द ही मरीजों का इलाज भी प्रारंभ हो जाएगा.' इस मौके पर अधिकारियों ने कहा कि अगले वर्ष से एम्स में मरीजों का इलाज भी प्रारंभ कर दिया जाएगा. एम्स में पढ़ाने के लिए 19 फैकल्टी टीचर और चार सीनियर रेजिडेंट चिकित्सक हैं.

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर सत्र 2012-13 के लिए पटना में एमबीबीएस की 50 सीटों पर नामांकन हुआ है. अधिकारियों के अनुसार संस्थान के मुख्य परिसर में अभी भी भवनों का निर्माण कार्य चल हा रहा है, जिसकी वजह से वर्तमान में कक्षाएं खगौल स्थित एम्स के दूसरे परिसर में चलेंगी. एम्स के निदेशक सिंह कहते हैं, 'संस्थान में 960 बिस्तरों वाला अस्पताल एवं 40 विभाग होंगे. इसके मई 2013 तक पूरा हो जाने की संभावना है.'

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उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में चार विषय एनाटोमी, फिजियोलोजी, बायोकेमेस्ट्री और कम्युनिटी मेडिसीन की पढ़ाई होगी. पटना एम्स देश का ऐसा पहला संस्थान है जहां पहले ही दिन से मेडिकल छात्र इलेक्ट्रॉनिक की पढ़ाई करेंगे. इधर, स्थानीय लोग एम्स के शुरू होने से बेहद खुश हैं लेकिन उन्हें इसका असली लाभ यहां इलाज शुरू होने के बाद मिलेगा.

पटना के अधिवक्ता सतीश कुमार कहते हैं, 'आज यहां के लोगों को बड़ी बीमारी के इलाज के लिए दिल्ली या किसी बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) सहित कई अस्पतालों में ऐसी सुविधा नहीं है जिसके भरोसे मरीज यहां इलाज करा सकें. वैसे भी पटना के अस्पतालों पर मरीजों का भार अधिक है.'

निदेशक कहते हैं, 'पटना एम्स का मुख्य मकसद केवल शहरों में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा मरीजों का इलाज करना नहीं है. इसका असली उद्देश्य गांवों में जाकर मरीजों को विशेषज्ञ सेवा उपलब्ध कराने वाले अच्छे चिकित्सकों को तैयार करना है.' वह कहते हैं, 'पटना एम्स के प्रतिनिधि राज्य के प्रत्येक पंचायत में होंगे और ये आपात स्थिति में रोगियों को तत्काल इलाज करेंगे और उन्हें अस्पताल भेजेंगे. यह प्रतिनिधि एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों से ऑन लाइन संपर्क में रहेंगे.'

बकौल सिंह 'छतीसा' योजना के अंतर्गत संचालित इस योजना का तात्पर्य छत्तीस गुण से है और इसी के आधार पर प्रत्येक गांव से पांच युवकों का चयन प्रतिनिधि के लिए किया जाएगा. चयनित युवकों को पटना एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सक आपात चिकित्सा के गुण सिखाएंगे. वह कहते हैं कि ग्रामीणों को गांवों में ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की शिक्षा मिले तब ही एम्स की उपयोगिता सिद्घ होगी.

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