उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बदली हुई परिस्थितियों में पूर्व निर्धारित मानकों में परिवर्तन कर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए.
‘बिहार मांगे इंसाफ’ नामक एक सेमिनार के दौरान अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत सरकार ने किसी प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर पांच मापदंडों का उल्लेख किया है.
मोदी ने कहा कि इन मापदंडों में विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले प्रदेश को पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र होना चाहिए, आबादी का घनत्व कम हो, जिस राज्य की सीमाएं अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़ी हों एवं सामरिक महत्व का हो, आर्थिक और आधारभूत संरचना की दृष्टि से पिछड़ा हो और राज्य अपने संसाधन से अपना विकास नहीं कर सकता हो.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया है और इसका सबसे बडा लाभ वहां उद्योग लगाने वालों को उत्पाद कर और आयकर में से छूट मिलता है.
मोदी ने कहा कि इसका तीसरा सबसे बड़ा लाभ केंद्र प्रायोजित योजनओं में राज्यों द्वारा राज्यांश के रूप में लगायी जानी वाली राशि में छूट के तौर मिल जाती है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रतिवर्ष बिहार को केंद्र प्रायोजित योजनाओं में करीब तीन से चार हजार करोड़ रुपये राज्यांश के रूप में लगाना पड़ता है.
मोदी ने कहा कि किसी राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने को लेकर जो मापदंड निर्धारित किया गया है वह कोई कैबिनेट का फैसला नहीं और न ही उसका संविधान में उल्लेख है बल्कि यह एक राजनीतिक फैसला है, इसलिए इसमें बदलाव किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर किसी राज्य में आबादी कम है तो उसके कारण उसे विशेष राज्य का दर्जा मिल सकता है पर अगर किसी राज्य में आबादी का घनत्व बहुत अधिक है तो उसे यह दर्जा क्यों नहीं दिया जा सकता.
मोदी ने कहा कि बिहार में एक वर्ग किलोमीटर में 1,120 लोग रहते हैं जो दुनिया में सर्वाधिक होगा जबकि भारत में प्रति वर्ग किलोमीटर में आबादी घनत्व साढे तीन सौ है. उन्होंने कहा बिहार में पहाड़ी क्षेत्रों की कमी अवश्य है पर यहां के 38 में से 23 जिले बाढ़ प्रभावित हैं जिससे हर साल इनकी पूरी आधारभूत संचरना ध्वस्त हो जाती है.
मोदी ने कहा कि ऐसे में इन क्षेत्रों को दुर्गम क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया जा सकता है. बिहार का अंतर्राष्ट्रीय सीमा से भी जुड़ा हुआ है जिस कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि इस राज्य में आर्थिक और आधारभूत संरचनाओं तथा अपने आंतरिक संसाधनों की भी कमी है ऐसे में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में केंद्र सरकार की आनाकानी बेमतलब और बेमानी है. मोदी ने कहा कि बिहार को अगर विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो बड़ी संख्या में उद्यमी यहां उद्योग लगाने आएंगे.
समारोह को बिहार के पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव, परिवहन एवं सूचना मंत्री वृषिण पटेल, ग्रामीण कार्य मंत्री भीम सिंह, खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री श्याम रजक, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह सहित कई अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया.