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'एक साधे, सब सधे' होगी नीतीश की अधिकार यात्रा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 19 सितम्बर से 'अधिकार यात्रा' पर निकलेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग मजबूत करना होगा. साथ ही मुख्यमंत्री के निशाने पर केंद्र सरकार के साथ सभी विपक्षी दल भी होंगे.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 19 सितम्बर से 'अधिकार यात्रा' पर निकलेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग मजबूत करना होगा. साथ ही मुख्यमंत्री के निशाने पर केंद्र सरकार के साथ सभी विपक्षी दल भी होंगे.

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माना जा रहा है कि नीतीश 'एक साधे सब सधे, सब साधे, सब जाए' को आधार बनाकर केवल विशेष राज्य की बात करेंगे लेकिन उनके निशाने पर सभी राजनीतिक दल होंगे.

नीतीश ने इससे पहले भी जनता के बीच जाने के लिए किसी न किसी यात्रा को माध्यम बनाया है और उनकी सभी यात्राएं चर्चित रही हैं. कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने सेवा यात्रा की थी, जबकि इसके पूर्व विकास यात्रा, न्याय यात्रा, प्रवास यात्रा, धन्यवाद यात्रा और विश्वास यात्रा के रथ पर सवार होकर वह पूरे बिहार की परिक्रमा कर चुके हैं.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उनसे पहले जनता से सम्पर्क बनाने के लिए नेता रैलियों की राजनीति करते थे, परंतु नीतीश ने रैलियों की बजाये स्वयं जनता के द्वार पर जाने का काम किया, जिसका फायदा भी उन्हें मिला.

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इन यात्राओं का ही परिणाम है कि सत्ताधारी दल प्रचंड बहुमत से दूसरी बार बिहार की सत्ता पर काबिज हुआ. जनता दल (युनाइटेड) के प्रवक्ता नीरज कुमार के अनुसार 'अधिकार यात्रा' का कार्यक्रम विशेष राज्य के दर्जे की मांग को केंद्र में रखकर बनाया गया है जबकि इसका एक अन्य उद्देश्य विकास योजनाओं की जमीन पर समीक्षा करना भी है. इस यात्रा का प्रारम्भ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली पश्चिमी चंपारण जिले से होगा.

राजनीति के जानकार एवं पटना के वरिष्ठ पत्रकार गंगा प्रसाद कहते हैं कि नीतीश यात्राओं की राजनीति में माहिर खिलाड़ी हैं. इन यात्राओं से न केवल वे अपने कार्यकर्ताओं में संजीवनी का संचार करते हैं बल्कि अपने विकास कार्यों, अधिकारियों के क्रिया-कलापों की जमीनी हकीकत भी पता करते हैं.

वह कहते हैं कि प्रारम्भ में जब नीतीश ने यात्राएं शुरू की थीं तब और आज भी यात्राओं को लेकर वह विपक्षी दलों के निशाने पर रहते आए हैं, लेकिन स्थिति बदली और आज विपक्षी दल के नेता भी सत्ता पाने की छटपटाहट में इन यात्राओं को ही हथियार बना रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद हाल ही में 'परिवर्तन यात्रा' करने पर मजबूर हुए, जबकि कांग्रेस के अध्यक्ष महबूब अली कैसर 'पोल खोल यात्रा' से राज्य सरकार की पोल खोलने जनता के बीच गए. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान भी जनसम्पर्क यात्रा के माध्यम से लोगों के पास पहुंच रहे हैं.

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राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री श्याम रजक ने कहा कि मुख्यमंत्री की यात्रा का नाम जो भी हो लेकिन उस यात्रा का मुख्य उद्देश्य बिहार का विकास ही होता है. इसमें भी विपक्षी दलों को परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री की यात्रा का परिणाम ही है कि गांव के लोगों को किसी कार्य की शिकायत करने के लिए राजधानी नहीं आना पड़ता, लोग मुख्यमंत्री की किसी और यात्रा का इंतजार करते हैं. उन्हें उनके क्षेत्र में 'ऑन स्पॉट रिजल्ट' मिलता है. गलती का पता चला और तुरंत निदान भी हुआ.

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