केंद्र सरकार के डीजल मूल्यवृद्धि की हर ओर जमकर कड़ा विरोध हो रहा है. सभी विपक्षी पार्टियां इसके विरोध में एकजुट हो रही हैं तो इसके घटक दल भी इसकी आलोचना कर रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी ने तो संप्रग सरकार को आर्थिक सोच का दिवालिया बता दिया वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकार पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाया है. नीतीश ने तो यहां तक कहा कि कांग्रेस के राज में देश का आर्थिक ढांचा गड़बड़ा गया है.
वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जमकर संप्रग सरकार पर हमला बोला और कहा, ‘पीएम देश को डुबो रहे हैं, अब भी वक्त है गुजरात की राह पकड़े केंद्र सरकार.’
घटक दलों का विरोध
दूसरी ओर केन्द्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल और विपक्ष ने डीजल मूल्यवृद्धि के लिए सरकार पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि इससे आम आदमी पर बोझ और बढ़ जायेगा तथा इसे फौरन वापस लेने की मांग की.
संप्रग के दूसरे सबसे बड़े घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कि पार्टी इससे अप्रसन्न है और वह इसे वापस लेने की मांग करती है. तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘यह जनता के साथ धोखा है. हम अप्रसन्न हैं. हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे और हम इसे वापस लेने की मांग करते हैं.’ एक अन्य तृणमूल नेता एवं रेल मंत्री मुकुल राय ने कहा, ‘इस बारे में हमारे साथ विचार विमर्श नहीं किया गया.’
संप्रग के एक और महत्वपूर्ण सहयोगी दल द्रमुक ने डीजल मूल्य में की गई बढोत्तरी को ‘बेहद ज्यादा’ और अप्रत्याशित करार दिया.
पार्टी प्रमुख एम करूणानिधि ने कहा कि मूल्य वृद्धि से गरीब और वेतनभोगी वर्ग और ज्यादा प्रभावित होंगे जोकि पहले से ही अनिवार्य वस्तुओं की ऊंची कीमतों की मार झेल रहे हैं. उन्होंने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस मामले पर चर्चा के लिए संप्रग संयोजन समिति की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की.
सत्तारूढ संप्रग के घटक दल राकांपा ने भी केंद्र द्वारा डीजल के मूल्यों में की गई वृद्धि का विरोध किया और इसे वापस लिए जाने की मांग की. राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, ‘केंद्र को डीजल मूल्य में वृद्धि को वापस लिए जाने पर विचार करना चाहिए और सब्सिडी वाले एलपीजी की संख्या निर्धारित नहीं करनी चाहिए, खास कर अनिवार्य वस्तुओं की ऊंची कीमतों को देखते हुए और इससे आम आदमी प्रभावित होगा.
डीजल-एलपीजी का फोड़ा बम
सरकार ने गुरुवार मध्यरात्रि से डीजल के दाम में पांच रुपये प्रति लीटर की बढोतरी करने का निर्णय किया है जिसमें मूल्य संवर्धित कर (वैट) शामिल नहीं है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में गुरुवार शाम यह निर्णय किया गया. बैठक में घरेलू इस्तेमाल के लिए साल में सब्सिडी वाले रसोई गैस के मात्र छह सिलेंडर दिये जाने का भी निर्णय किया गया.
बीजेपी ने कड़े किए स्वर
भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘यह देश के आम आदमी के साथ क्रूर मजाक है. इससे धान बुवाई के मौसम में किसानों पर बुरी मार पड़ेगी. हम इस मूल्यवृद्धि को स्वीकार नहीं करेंगे. हम सरकार को इस तरह आम आदमी को लूटने की इजाजत नहीं दे सकते.’
भाजपा नेता यशवन्त सिन्हा ने कहा कि डीजल मूल्य बढ़ने से पूरी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा. कीमतें पहले से ही काबू में नहीं है. इसके कारण मुद्रास्फीति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में दुश्वारियां पैदा हो जायेंगी.
लेफ्ट पार्टी नाराज
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने इस निर्णय को पीछे ले जाने वाला और जन विरोधी करार दिया. उन्होंने कहा कि इससे जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे जो पहले से काफी ऊंचे हैं. इससे आम आदमी की मुश्किलें और बढ़ेंगी. सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए.
जयललिता भड़कीं
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने डीजल मूल्य में की गई मूल्य वृद्धि और सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की संख्या सीमित करने के फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की. उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई वाली केंद्र की संप्रग सरकार पर ईंधन की कीमतों में बढोत्तरी से निपटने के लिए आर्थिक नीतियों के अभाव होने का आरोप लगाया.
बादल भी गरजे
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मूल्य वृद्धि के लिए केंद्र की आलोचना की और इसे तत्काल वापस लिए जाने की मांग की. एक वक्तव्य में बादल ने कहा कि डीजल कीमत में की गई मूल्यवृद्धि ‘बेतहाशा और गैरजरूरी’ है.