मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदर्शनकारियों द्वारा मधुबनी में हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाये जाने की निंदा करते हुए कहा कि स्थिति की गंभीरता को भांपने में स्थानीय वरिष्ठ अधिकारियों से भी चूक हुई जिसके कारण इतनी आगजनी और तोडफोड हुई.
मधुबनी की हिंसा का असर, नीतीश की अधिकार यात्रा स्थगित
जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम से इतर नीतीश ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करने के लोकतांत्रिक अधिकार के खिलाफ मैं नहीं हूं लेकिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने चाहिए. उन्होंने कहा कि मुद्दा चाहे जो भी हो लेकिन उसे लेकर जो व्यापक पैमाने पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया उसे कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता. यह निंदनीय है. यह संपत्ति राज्य की और उसके लोगों की होती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के बाद जो क्षति हुई है उसे फिर से बनाने में जनता का पैसा ही खर्च होगा, जनता पर ही इसका बोझ पड़ेगा.
बिहार बंद का मिला जुला असर
मधुबनी के सारे प्रकरण से निपटने में स्थानीय स्तर पर प्रशासन की चूक की बात स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मृतक छात्र के परिजनों ने शव की मांग की थी तो पुलिस को शव को उन्हें सौंप देना चाहिए था. शव सौंपने में देर होने के कारण इतनी हिंसा हुई और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.
नीतीश ने कहा कि मधुबनी में हिंसा की खबर मिलते ही मैंने शीर्ष अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था की समीक्षा की और शव को परिजनों को सौंपने का निर्देश दिया. इसके अलावा चार शीर्ष अधिकारियों का तबादला कर दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशांत कुमार झा की कथित हत्या में शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी और शीर्ष अधिकारियों के साथ उसकी निकटता की बात सामने आने के बाद उन्होंने सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश करने का निर्देश दिया है.
नीतीश ने कहा कि जिस मामले को पुलिस अधिकारी आसानी से सुलझा सकते थे उसे लेकर शांत रहने वाले मधुबनी जिले में इतनी हिंसा हुई. समय पर निर्णय किया गया होता तो ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती.
उन्होंने कहा कि जानकारी मिलने के बाद सरकार तुरंत हरकत में आयी और कानून के अनुसार कार्रवाई की गयी. इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिये गये हैं. गृह विभाग ने पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से किसी सेवानिवृत्त जज का नाम सुझाने को कहा है. नीतीश ने कहा कि मधुबनी में हिंसा और तोडफोड को उकसाने में विरोधियों का भी हाथ है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.