बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को कहा कि राज्य में महिलाओं सहित विभिन्न वर्ग के सशक्तिकरण के बाद राजग सरकार का अगला लक्ष्य आर्थिक सशक्तिकरण होगा, जिसमें बैंकों को बड़ी भूमिका निभानी होगी.
मोदी ने कहा, ‘महिलाओं, सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को विभिन्न प्रकार के अधिकार देकर राज्य सरकार ने सामाजिक सशक्तिकरण का काम किया है. राज्य सरकार का अगला लक्ष्य अब आर्थिक सशक्तिकरण का होगा. बैंकों को इसमें बड़ी भूमिका के लिए तैयार रहना चाहिए.’
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण दिया है, सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा रही है, जिनकी संख्या करीब 1.5 करोड़ है. इसके अलावा छात्राओं को साइकिल और पोशाक देने से काफी परिवर्तन आया है.
पत्रिका ‘गवर्ननेंस नाउ’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मोदी ने कहा, ‘आने वाले एक वर्ष में बैंक शाखा, छोटी शाखा और बैंक प्रतिनिधि सहित 14 हजार बैंकिंग केंद्र खुलेंगे. वित्तीय समावेश के लिए बिहार में भविष्य उज्ज्वल है. वित्तीय लेन देन के लिए बैंकों को चिंतित नहीं होना चाहिए.’
मोदी ने कहा कि सरकार विभिन्न प्रकार के पेंशन और छात्रवृत्ति में मद में एक साल में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का वितरण बैंकों के माध्यम से करेगी. इसलिए वित्तीय लेनदेन को लेकर बैंकों को चिंतित होने की दरकार नहीं है.
बिहार में समावेशी बैंकिंग विषयक कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि राज्य सरकार बैंकों को लक्ष्य दिया है कि राज्य में प्रत्येक परिवार का कम से कम एक खाता अवश्य है, क्योंकि बैंक में खाता खुलना आर्थिक सशक्तिकरण का परिचायक है. इसके लिए राज्य में कम से कम दो करोड़ खाते खोलने होंगे. बिहार में अभी 4882 बैंक शाखाएं हैं. ग्रामीण इलाकों में शाखाएं 2750 हैं.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लोग अब स्कूल, कालेज खोलने और बैंक शाखाएं खोलने की मांग अपने अपने इलाकों में कर रहे हैं. बैंकों को मोबाइल बैंकिंग और एटीएम पर अधिक जोर देकर ‘मल्टी चैनल डिलीवरी मॉडल’ को स्वीकार करना चाहिए. बिहार में ऋण की अदायगी की दर भी अधिक है, इसलिए ऋण देना सुरक्षित है.
उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार की योजनाओं के लिए अलग-अलग प्रकार के कार्ड दिये जाते हैं. सभी प्रकार के कार्ड और पहचान पत्रों का विलय करना चाहिए. इससे सुविधाओं को एक स्थान पर समाहित करने में मदद मिलेगी. मोदी ने कहा कि बिहार 18 वर्ष के आयु से अधिक के सभी लोगों को विशिष्ट पहचान पत्र ‘आधार’ के तर्ज पर ई-शक्ति कार्ड देने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए राज्य सरकार 631 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है.