वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व में एक बार फिर वन विभाग की लापरवाही के कारण बेजुबान तेंदुए की जान चली गई. उसका कसूर बस इतना था कि वो पास के खेत में भोजन की तलाश में निकला था. उसे क्या पता कि जिस ओर वह अपनी भूख मिटाने जा रहा है, उस तरफ पहले से किसानों ने जाल बिछाकर रखा है.
किसानों की ओर से लगाए जाल में तेंदुआ फंस गया और तड़प-तड़प कर अपनी जान दे दी. वन विभाग के अधिकारी तड़पते तेंदुए को बचाने में अक्षम साबित हुए जबकि सरकार प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये संरक्षित जीवों के जीवन रक्षा के लिए खर्च करती है.
किसानों के जाल में फंसा तेंदुआ
वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के मदनपुर वन क्षेत्र के काटी उपखंड से सटे गन्ना के खेत में किसानों ने जाल बिछाकर रखा था. एक तेंदुआ अपनी भूख मिटाने भोजन की तलाश में निकला और जाल में फंस गया. जाल में फंसने के बाद निकलने की लाख कोशिश की, लेकिन निकल नहीं सका. खबर वन विभाग के अधिकारियों तक पहुंची लेकिन अफसोस अधिकारी रणनीति ही बनाते रहे और तेंदुए ने कड़ी धूप में तड़पकर अपनी जान दे दी.
संसाधन की घोर कमी
वन विभाग के अधिकारी इतने असहाय नजर आ रहे थे कि उन्हें उपाय ही नहीं सूझ रहा था कि तेंदुए को कैसे बचाया जाए. तेंदुए को बचाने में वन विभाग की पोल खुल गई. सरकार के करोड़ों रुपये खर्च प्रतिवर्ष खर्च करने के बाद भी वन विभाग के पास संसाधन की घोर कमी देखी गई. आलम ये था कि अधिकारियों को गांव से खाट मंगाया जा रहा था.
वन विभाग के पास ट्रेंगुलाइजर गन भी नहीं
849 किलोमीटर के दायरे में फैले वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के पास ट्रेंगुलाइजर गन भी नहीं है. जानकारी मिली कि अगर ट्रेंगुलाइजर गन वन विभाग के पास होती तो 6 घंटा तड़पने के बाद तेंदुए की जान नहीं जाती. तेज धूप में लगभग छह घंटे तक तेंदुआ जिंदगी और मौत से जूझता रहा. जिनसे उसे बचने की उम्मीद थी वो असहाय नजर आ रहा था.
तेंदुए को बचाने के लिए लाठी-डंडों का इस्तेमाल
तेंदुआ को बचाने के लिए लाठी, डंडे और अन्य चीजों का इस्तेमाल किया गया जो काफी अफसोसजनक है. जिला वन पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा कि ग्रामीणों ने जंगली सुअर को फंसाने के लिए जाल बिछाकर रखा था. उसीमें ये तेंदुआ फंस गया जिसे बचाने की काफी कोशिश की गई लेकिन बचाया नहीं जा सका.