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पटना में कैदियों के 'अच्छे दिन', मनपसंद जेल की लग रही बोली

बिहार में रिश्वत लेकर कैदियों की दी जा रही उनकी मनपसंद जेल. जितना बड़ा जेल, जितना सुविधापूर्ण जेल, उतना अधिक रेट. पढ़िए आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में बिहार की जेलों का यह पूरा भ्रष्टाचार

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बिहार में मनपसंद जेल के लिए ली जा रही रिश्वत
बिहार में मनपसंद जेल के लिए ली जा रही रिश्वत

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देश में किसी और के अच्छे दिन  आए हों या न आए हों बिहार में कैदियों के अच्छे दिन जरूर आ गए हैं. यहां कैदियों से पैसे लेकर उन्हें उनकी मनपसंद जेल भेजने की सहूलियत दी जा रही है. जितना पैसा खर्च करो उतनी सुविधा वाली जेल मिलेगी. पटना कोर्ट का पेशकार मनपसंद जेल भेजने के लिए पैसे लेते रंगेहाथ आजतक के कैमरे में कैद कर लिया गया.

आजतक के इस स्टिंग में पेशकार को कहते सुना जा सकता है, "जब जैसा आदमी देखा 200, 400, 500,  1000 रुपये, जैसा रहा. मान लो कोई गरीब आदमी आ गया, नहीं देने लायक रहा तो 50-100 रुपये में ही कर दिया."

आजतक के रिपोर्टर ने जब पेशकार से पूछा- यानी आपके ऊपर है की आप उसे कहा भेजे तो उनका जवाब था 'हां'. इतना ही नहीं जिस जेल का एकबार जो रेट बता दिया रिश्वतखोर पेशकार उसमें एक चवन्नी कम करने को राजी नहीं हुआ.

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आजतक के इस स्टिंग में  पेशकार क्या कह रहा है, पढ़िए उसी के शब्दों में-ः

पेशकार : कौन जेल जाना चाह रहा है कौन जेल उसको अच्छा बुझा रहा है.

आजतक टीम : बेउर ही ठीक होगा.

पेशकार : बेउर सबसे बेस्ट है.

आजतक टीम :  क्या करना हो उसके लिए.

पेशकार : डिमांड करेंगे पांच सौ लगेगा एक मुदाले का.

आजतक टीम : और फुलवारी में.

पेशकार : बेउर स्टैण्डर्ड है.

आजतक टीम : क्या क्या फैसिलिटी मिलेगा.

पेशकार : सुनते हैं बहुत बड़ा जेल है. खाली उसमे vip कैदी ही आते हैं. कैंटीन फैंटीन सब है.

आजतक टीम : पांच सौ लगेगा.

पेशकार : एक मुदाले का.

आजतक टीम : कुछ कम भी होगा.

पेशकार : एक चवन्नी नहीं.

अधिकारी से अधिकार बाबू के पास

वैसे तो अपराधी को उसके द्वारा किए गए अपराध के आधार पर और सुनाई गई सजा के आधार पर किस जेल भेजा जाए, इसका फैसला लेने का अधिकार अधिकारियों के पास होता है. लेकिन वास्तव में किस कैदी को किस जेल भेजा जाए इसका फैसला बाबू ही कर देते हैं, रिश्वत लेकर.

स्टिंग में पेशकार कहता है कि अपराधी जब पकड़ा के आता है तो ये ऑफिसर का पॉवर है कि वो फुलवारी जेल भेजे की बेउर जेल भेजे, पॉवर है लेकिन हमलोग ऑफिस बाबू जो लिख देते हैं वही होता है. बेउर तो बेउर और फुलवारी तो फुलवारी.

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पेशकार के अनुसार चूंकि राजधानी में स्थित बेउर जेल बड़ा और तमाम सुविधाओं से लैस है इसलिए बेउर जेल का रेट भी अधिक है. पेशकार ने बेउर जेल भेजने का रेट 1,000 रुपये बताया. वहीं पेशकार स्वीकार भी करता है कि पैसे लेकर जेल देना नियम नहीं है.

एक कैदी के परिजन ने भी बताया कि मनपसंद जेल भेजने के लिए पैसे लिए जाते हैं, वर्ना धमकी दी जाती है कि किसी दूर-दराज की जेल भेज देंगे. हकीकत यह है कि बिहार की सभी जेलों में एक जैसी सुविधाएं नहीं हैं. अगर सभी जेलों में कैदियों को बराबर सुविधाएं दी जाएं तो निश्चित तौर पर सुशासन बाबू के राज्य में लोगों के मनपसंद जेल के लिए रिश्वत नहीं देनी होगी.

(स्टिंग का वीडियो देखें)

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