भीड़तंत्र को सबसे ज्यादा पसंद करने वाले लालू प्रसाद यादव पर भी अब आम आदमी पार्टी का रंग चढ़ने लगा है. लालू भले ही कभी 'आप' के इस रंग पर खुलकर न बोलें, लेकिन उनके तौर-तरीके कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर रहे हैं. लालू यादव अपनी 23 फरवरी को होने वाली रैली को रद्द कर अब घर-घर, कानों-कान प्रचार में जुट गए हैं.
आरजेडी प्रमुख लालू का यह 'कानों-कान' जनता तक सीधे पहुंचने का फार्मूला लगभग वही है, जिसके बूते अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता पर बैठे हैं. लालू ने फरवरी में प्रस्तावित रैली को यह कहते हुए रद्द कर दिया है कि अब वह दर-दर दस्तक देंगे और लोगों को नहीं बुलाएंगे. लालू यादव ने कहा कि वो रैली के बदले अब 'कानों-कान' शुरू करेंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सीधे पहुंच सके. उन्होंने कहा, 'लोगों को बुलाने में कष्ट होगा. हम माताओं और बच्चों को बुलाकर कष्ट नहीं देना चाहते. अब रैली नहीं करेंगे बल्कि उनके ही घर जाऐंगे.'
वहीं, लालू यादव के रणनीति बदलने पर प्रदेश में 'आप' काफी उत्साहित है. बिहार में 'आप' के संयोजक रत्नेश चौधरी कहते हैं, 'यह बिल्कुल आम आदमी पार्टी का इफेक्ट है, लेकिन स्वागत योग्य है. हम यही चाहते हैं कि राजनीति बदले और अगर हमारी देखा-देखी पार्टियां बदल रही हैं तो अच्छा है.'
दूसरी ओर आरजेडी महासचिव रामकृपाल यादव का कहना है कि यह आम आदमी पार्टी का इफेक्ट नहीं है. आरजेडी शुरू से आम लोगों की पार्टी रही है. रामकृपाल ने उल्टा आम आदमी पार्टी पर ही नकल करने का आरोप लगाया है.