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आनंद मोहन समेत मृत बंदी की भी कर दी रिहाई...जल्दबाजी में नीतीश सरकार से बड़ी चूक

बिहार सरकार के कानून विभाग ने 10 अप्रैल को 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था. इनमें आनंद मोहन सिंह का भी नाम है. आनंद मोहन गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैय्या हत्याकांड में सजा काट रहे हैं. सरकार के आदेश में कहा गया है कि इन कैदियों के जेल में रहते 14 साल हो चुके हैं और जेल में उनका व्यवहार अच्छा रहा. ऐसे में रिहा करने का आदेश जारी किया गया. 

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नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

बिहार सरकार ने कारा अधिनियम में बदलाव बाहुबली नेता आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया है. इसे लेकर नीतीश सरकार की खूब आलोचना हो रही है. अब सामने आया है कि नीतीश सरकार ने जल्दबाजी में दिए अपने इस आदेश में बड़ी चूक कर दी है. दरअसल, जिन 27 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया गया, उनमें से एक की 1 साल पहले ही मौत हो चुकी है. बक्सर जेल प्रशासन ने मृतक बंदी के बारे नीतीश सरकार को जानकारी भी दे दी है. 

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बिहार सरकार के कानून विभाग ने हाल ही में 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था. इनमें आनंद मोहन सिंह का भी नाम है. आनंद मोहन गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैय्या हत्याकांड में सजा काट रहे हैं. सरकार के आदेश में कहा गया है कि इन कैदियों के जेल में रहते 14 साल हो चुके हैं और जेल में उनका व्यवहार अच्छा रहा. ऐसे में रिहा करने का आदेश जारी किया गया. 

27 में से एक बंदी रिहा हो चुका

बंदियों की रिहाई के दौरान नीतीश सरकार से बड़ी चूक का मामला सामने आया है. सरकार द्वारा जिन 27 कैदियों की रिहाई का आदेश 10 अप्रैल को जारी किया गया, उनमें बक्सर जेल में बंद पतिराम राय का भी नाम है. लेकिन पतिराम की नवंबर 2022 में इलाज के दौरान ही मौत हो चुकी है. लेकिन सरकार को इसकी जानकारी तक नहीं है. ऐसे में अब बक्सर जेल के कारा अधीक्षक राजीव कुमार द्वारा सरकार को जानकारी दी गई है. 

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इन बंदियों को किया जा रहा रिहा

आनंद मोहन के अलावा जिन कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया है, उनमें दस्तगीर खान,    पंचा उर्फ पंचानद पासवान, पप्पू सिंह उर्फ राजीव रंजन सिंह, अशोक यादव , शिवजी यादव, किरथ यादव , राजबल्लभ यादव उर्फ बिजली यादव, कलक्टर पासवान, रामप्रवेश सिंह, किशुनदेव राय, सुरेंद्र शर्मा, देवनंदन नोनिया, विजय सिंह , रामाधार राम, हृदय नारायण शर्मा, पतिराम राय, मनोज प्रसाद, जितेंद्र सिंह, चंदेश्वरी यादव , खेलावन यादव, अलाउद्दीन अंसारी , मो. हलीम अंसारी, अख्तर अंसारी, मो. हलीम अंसारी, सिकंदर महतो, अवधेश मंडल का नाम भी शामिल है. 

डीएम की हत्या के मामले में सजा काट रहे आनंद मोहन

तेलंगाना में जन्मे आईएएस अधिकारी कृष्णैया अनुसुचित जाति से थे. वह बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे और 1994 में जब मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे. इसी दौरान भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी. इस दौरान इन्हें गोली भी मारी गई थी. आरोप था कि डीएम की हत्या करने वाली उस भीड़ को कुख्यात बाहुबली आनंद मोहन ने ही उकसाया था. यही वजह थी कि पुलिस ने इस मामले में आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली समेत 6 लोगों को नामजद किया था.

कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को सजा हुई थी. 1994 के कलेक्टर हत्याकांड में आनंद मोहन सिंह को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई. 2008 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. 

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अब उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को बिहार सरकार कारा अधिनियम में बदलाव करके जेल से रिहा करने जा रही है. बिहार सरकार ने कारा हस्तक 2012 के नियम 481 आई में संशोधन किया है. 14 साल की सजा काट चुके आनंद मोहन की तय नियमों की वजह से रिहाई संभव नहीं थी. इसलिए ड्यूटी करते सरकारी सेवक की हत्या अब अपवाद की श्रेणी से हटा दिया गया है. बीते 10 अप्रैल को ही बदलाव की अधिसूचना सरकार ने जारी कर दी थी.

किस नियम के तहत रिहा किए जा रहे बंदी?

आनंद मोहन समेत 27 बंदियों को बिहार सरकार कारा अधिनियम में बदलाव करके जेल से रिहा करने जा रही है. बिहार सरकार ने कारा हस्तक 2012 के नियम 481 आई में संशोधन किया है. 14 साल की सजा काट चुके आनंद मोहन की तय नियमों की वजह से रिहाई संभव नहीं थी. इसलिए ड्यूटी करते सरकारी सेवक की हत्या अब अपवाद की श्रेणी से हटा दिया गया है. बीते 10 अप्रैल को ही बदलाव की अधिसूचना सरकार ने जारी कर दी थी.

आनंद मोहन की रिहाई पर भड़का IAS एसोसिएशन 

IAS एसोसिएशन ने ट्वीट कर कहा, आनंद मोहन ने आईएएस जी. कृष्णैया की नृशंस हत्या की थी. ऐसे में यह दुखद है. बिहार सरकार को जल्द से जल्द इस फैसला वापस लेना चाहिए. ऐसा नहीं होता है, तो ये न्याय से वंचित करने के समान है. इस तरह के फैसलों से लोग सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है. हम राज्य सरकार से अपील करते हैं कि बिहार सरकार जल्द से जल्द इस पर पुनर्विचार करे.

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बीजेपी ने उठाए सवाल

नीतीश सरकार के इस फैसले पर बीजेपी लगातार सवाल उठा रही है. बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, आनंद मोहन के बहाने सरकार मानवीय होने का मुखौटा लगाकर जिन 26 अपराधियों को छोड़ने जा रही है वह दुर्दांत हैं और इनमें से 7 तो ऐसे हैं, जिन्हें अभी भी स्थानीय थाने में अपनी हाजिरी दर्ज करानी होगी. सरकार की तरफ से जिन बंदियों को रिहा किया जा रहा है, उनमें से ज्यादातर MY समीकरण में फिट बैठते हैं और उनके बाहुबल का इस्तेमाल सरकार में बैठे लोग आगे चुनाव में करना चाहते हैं. 

सुशील मोदी ने नीतीश सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताया है. उन्होंने कहा, 2016 में नीतीश सरकार ने जेल मैनुअल में संशोधन कर बलात्कार, आतंकी घटना में हत्या, बलात्कार के दौरान हत्या और ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या को ऐसे जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा था, जिसमें कोई छूट या नरमी नहीं दी जाएगी लेकिन अब सरकार अपने ही इस फैसले से पलट रही है.  
 


 

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