27 अक्टूबर को पटना में होने वाली हुंकार रैली, नरेंद्र मोदी का मेगा शो होगा. इस रैली में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अरुण जेटली तो मंच पर होंगे, लेकिन आडवाणी और सुषमा स्वराज इससे दूर रहेंगे. मोदी के इस शो में लग रहे बैनर पोस्टरों से भी साफ है कि आडवाणी खेमा इस रैली से दरकिनार हो चुका है. पोस्टरों में इन दोनों नेताओं के चेहरे महज खानापूर्ति भर हैं. बिहारी बाबू जैसे आडवाणी खेमे के नेता भी हाशिए पर हैं. ऐसे में सवाल ये है कि आडवाणी खेमा बिहार बीजेपी के खेमा बदलने से नाराज है या फिर नीतीश के साथ अपने संबंधों को संजोए रखना चाहता है.
हैदराबाद, रेवाड़ी, त्रिची, भोपाल, दिल्ली, कानपुर और झांसी के बाद अब मोदी 27 अक्टूबर को पटना का रुख करेंगे, लेकिन इस हुंकार से पहले ही नेताओं की शिरकत को लेकर इस पर सवाल उठने लगे हैं. बिहार के बड़े नेता इस बात पर चुप हैं कि आडवाणी और सुषमा क्यों नहीं आ रहे, तो बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मोदी खेमे का जाना-माना चेहरा सीपी ठाकुर ने कहा कि वो पार्टी अध्यक्ष से बात करेंगे कि आडवाणी और सुषमा को लाने का एक और प्रयास करें. यही नहीं उन्होंने अपील की कि आडवाणी और सुषमा के रैली में नहीं आने के फैसले पर फिर से विचार करें.
बिहार में मोदी की रैली को लेकर उत्साह अपने चरम पर है. पटना शहर बैनर और पोस्टरों से पट चुका है, लेकिन आडवाणी और सुषमा स्वराज की उपेक्षा यहां साफ झलकती है. प्रदेश बीजेपी की तरफ से जारी तस्वीरों को छोड़ दें तो आडवाणी और सुषमा तमाम पोस्टर और बैनरों से गायब हैं. आडवाणी खेमे का चेहरा रहे बिहारी बाबू के नमो की तरफ पाला बदलने के बावजूद पार्टी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया है. अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर तो दिख भी जाए पर आडवाणी पूरी रैली से गायब हैं. पार्टी से बाहर किए गए नेताओं के मुताबिक जो लोग आडवाणी के लिए यहां मोर्चाबंदी कर सालों सरकार में रहे, जब उन्होंने ही पाला बदल लिया तो आडवाणी यहां आऐं भी तो किस मुंह से.
बिहार बीजेपी के बुलावे के बाद भी आडवाणी और सुषमा स्वराज का पटना की रैली में नहीं आना कई सवाल खड़े करता है. क्या आडवाणी, मोदी और नीतीश के बीच के झगड़े में नहीं पड़ना चाहते या फिर आडवाणी नीतीश के साथ अपने संबंधों को सहेजकर रखना चाहते हैं.
आडवाणी नहीं आ रहे ये बिहार बीजेपी के लिए कोई मुद्दा नहीं. वो तो बस मोदी नाम में ही मस्त हैं, लेकिन आडवाणी खेमे ने जेड़ीयू की परेशानी बढा़ दी है. जेडीयू भले ही मोदी के नाम पर आग उगलती हो, पर आडवाणी के नाम पर पार्टी कुछ नहीं बोल पाती. क्योंकि नीतीश और आडवाणी की केमिस्ट्री किसी से छुपी नहीं है और आरजेडी ने जेडीयू की इसी कमजोर कड़ी को पकड़ लिया है.
जानकारों के मुताबिक जिस आडवाणी खेमे के लिए नीतीश कुमार ने मोदी के नाम का विरोध किया, वही खेमा हाशिए पर चला गया. ऐसे में आडवाणी और सुषमा ने पटना न आकर ये संदेश साफ कर दिया है कि आज भी बीजेपी में मोदी को लेकर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है और राजनीति के इस बिसात पर चुनाव बाद के बाद किसकी शह और किसकी मात होगी कोई नहीं जानता.