27 अक्टूबर को जब बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी बिहार में 'हुंकार' भरेंगे तो इस दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी मौजूद नहीं होंगे. पटना में होने वाली बीजेपी की 'हुंकार रैली' में आडवाणी के नहीं जाने को लेकर कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं. एनडीए से भले ही जेडीयू टूट के अलग हो चुका हो, लेकिन आडवाणी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच रिश्ते अभी भी अच्छे हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश से अच्छे रिश्तों के चलते ही आडवाणी पार्टी की इस रैली में शिरकत नहीं कर रहे हैं. मोदी को बीजेपी के पीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद नीतीश के क्षेत्र में पार्टी पहली बार गांधी मैदान में सार्वजनिक रैली के माध्यम से अपनी ताकत दिखाने का प्रयास करेगी.
रैली की तैयारियों की समीक्षा के बाद पार्टी महासचिव अनंत कुमार ने कहा, ‘पटना में 27 अक्टूबर की हुंकार रैली में आडवाणी मौजूद नहीं होंगे, जिसे बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे.’
उन्होंने कहा कि मोदी के अलावा बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली भी रैली को संबोधित करेंगे. रैली में आडवाणी की अनुपस्थित के बारे में सवालों पर अनंत कुमार ने कहा कि यह पार्टी की रणनीति और योजना है.
अनंत कुमार ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने जिन 100 रैलियों की योजना बनाई है, उनमें सभी शीर्ष नेता हिस्सा नहीं ले सकते. आडवाणीजी ने भोपाल की रैली में हिस्सा लिया है और वे भविष्य में भी अन्य रैलियों में हिस्सा लेंगे.’
यह पूछे जाने पर कि क्या आडवाणी बिहार के मुख्यमंत्री के साथ व्यक्तिगत संबंधों के कारण अनुपस्थित हो रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘यह सब अटकलबाजी है. बीजेपी एकजुट है और सभी नेता देश को कांग्रेस से मुक्त बनाने के साझा लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं.’
आडवाणी ने सबसे पहले मोदी का कद बढ़ाकर उन्हें बीजेपी चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने और फिर पार्टी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था. जेडीयू बीजेपी के वरिष्ठ नेता के संबंध में खुलकर का बोलती है, जिनकी एनडीए के दोनों सहयोगियों के गठजोड़ में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी और इस साल जून में दोनों दलों का 17 साल पुराना संबंध टूट गया था.