कुछ दिन पहले दसवीं की परीक्षा में नकल करवाने की वजह से बिहार का नाम बदनाम हुआ. अब नकल के बाद नम्बर बढ़वाने के लिए पैरवी और पैसों का खेल चल रहा है.
बिहार में इंटरमीडिएट यानी 12वीं की परीक्षा की उतरपुस्तिका का मूल्यांकन हो रहा है. नकल के बाद भी छात्र और अभिभावक परीक्षा में पास करवाने और नम्बर बढ़वाने के लिए मूल्यांकन केन्द्रों पर न सिर्फ पहुंच रहें हैं बल्कि पैसा और पैरवी दोनों का खेल चल रहा है.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का भी मानना है कि इस तरह की शिकायते आ रही हैं, इसलिए परीक्षा समिति ने निगरानी के लिए पांच केंद्रो पर सीसीटीवी कैमरे भी लगवायें हैं. जिन केंद्रो पर सीसीटीवी कैमरे नही लगे वहां यह खेल खुले तौर पर जारी है.
पटना के मिलर हाई स्कूल में आजकल इंटर की उतरपुस्तिका का मूल्यांकन हो रहा है. यहां खुलेआम छात्र अभिभावक और दलाल पास करवाने और नम्बर बढ़वाने के लिए पैसों का लेनदेन करते देखे जा सकते हैं.
उतर पुस्तिका जांचने वाले शिक्षक, छात्र और अभिभावकों के बीच तोलमोल करने वाले दलाल स्थानीय हैं. दलाल चाय लेकर या किसी अन्य बहाने से स्कूल में जाते हैं और सम्बधित छात्र का रोल नम्बर शिक्षक तो देते हैं. हांलाकि छात्र और उनके अभिभावकों को इस बात का डर भी है कि पैसा भी दे दें और नम्बर भी न बढ़े तो क्या होगा. दलाल को भी आशंका है कि कोई किसी को बता न दें.
बिहार में कुल 72 जगहों पर इंटर की कॉपियां जांची जा रहीं हैं लेकिन बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 5 केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाये हैं जिन पर लगातार निगरानी हो रही है. समिति के सचिव श्रीनिवास चंद तिवारी खुद इसकी निगरानी कर रहें है लेकिन वह मानते है कि कुछ केन्द्रों से ये शिकायत मिल रही है कि पैसा और पैरवी के बल पर नम्बरों की हेराफेरी हो रही है.
कई दिलचस्प बातें मूल्यांकन के दौरान शिक्षकों को देखने को मिल रही हैं. कई छात्रों ने बाद में पैसा और पैरवी की झंझट को किनारा करते हुए कॉपी में ही 100 या 500 के नोट रख दिए हैं. इसके अलावा जो पैसे नहीं दे सकते उन्होंने बहुत ही मार्मिक पत्र लिखा है जैसे अगर वो पास न हुए तो शादी टूट सकती है.