बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को फतह करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. इस कड़ी में वे बिहार के राजनीतिक मिजाज को समझने के लिए गुरुवार को पटना पहुंच रहे हैं. राज्य में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के बाद शाह का यह पहला आधिकारिक दौरा है.
बिहार में पार्टी के विस्तार की रणनीति और लोकसभा चुनाव की तैयारियों के आकलन के लिए अमित शाह 10 हजार शक्ति केंद्रों के प्रमुखों की एक सभा को संबोधित कर सकते हैं.
अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार बीजेपी ने बूथ लेवल पर इलेक्शन मैनेजमेंट के लिए पूरे राज्य में इन शक्ति केंद्रों को गठित किया है. ये केंद्र माइक्रोलेवल पर गठित किए गए हैं.
बीजेपी अध्यक्ष ने कर्नाटक और गुजरात चुनाव से पहले भी वहां के शक्ति केंद्रों के अध्यक्षों की सभा को संबोधित किया था. बिहार बीजेपी के नेताओं के मुताबिक राज्य में करीब 63 हजार से ज्यादा बूथ हैं. इनमें से पार्टी ने करीब 51 हजार से ज्यादा बूथ स्तर के डेटा को जुटाया है. शाह के सामने गुरुवार को रखा जाएगा.
बीजेपी ने राज्य में आईटी और सोशल मीडिया की करीब 45 टीमें गठित की हैं. शाह पटना में इन टीमों के साथ बैठक करके चुनावी कैंपेन को आक्रमक तरीके से तेज करने के लिए विचार-विमर्श करेंगे. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'सोशल मीडिया के मामले में बिहार में देरी से शुरुआत हुई है, लेकिन पिछले कुछ सालों में फेसबुक और वॉट्सऐप की लोगों तक पहुंच बढ़ी है और हम इसका फायदा उठाना चाहते हैं.'
बीजेपी खासतौर पर बिहार के उन बूथों के आंकड़े जुटा रही है, जहां मुस्लिम और यादव मतदाता बड़ी संख्या में हैं. पिछले तीन सालों में बीजेपी की बिहार इकाई ने संगठन के विचार को लागू किया है जिसे शाह ने 2015 में पार्टी के हार के बाद राज्य में रखा था. इसमें बूथ समितियां और शक्ति केंद्रों का गठन और मंडलों और पन्ना प्रमुखों के प्रमुख को नियुक्त करना था.
बता दें कि मुस्लिम-यादव दोनों मिलाकर राज्य में करीब 30 फीसदी हैं. पार्टी ऐसे लोगों की भी पहचान की जा रही है, जो इन्हें बीजेपी की तरफ आकर्षित कर सकें. इसके अलावा महादलित, अतिपिछड़ा सहित अन्य समुदायों को जोड़ने की रणनीति बनाई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बताया, 'आलाकमान की तरफ से निर्देश बिल्कुल स्पष्ट है. विरोधियों के लिए किसी भी समुदाय या इलाके को नहीं छोड़ना है. हर विधानसभा में अपने मतदाताओं को इकट्ठा करना है.'
अमित शाह गुरुवार को ही एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू अध्यक्ष बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात प्रस्तावित है. बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष देवेश कुमार ने कहा कि पिछले कुछ सालों में पार्टी ने संगठनात्मक रूप से मजबूती के लिए बहुत सारे कदम उठाए हैं.
शक्ति केंद्र के प्रमुखों को पार्टी अध्यक्षों को संबोधित करेंगे. बीजपी नेताओं का कहना है कि नीतीश राज्य में बीजेपी की बढ़ती शक्ति से वाकिफ हैं और सीटों के बंटवारे पर उनकी पार्टी का फैसला ही अंतिम होगा.