2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह पूरे देश का दौरा कर रहे हैं और सभी सहयोगियों से मिल रहे हैं. इसी कड़ी में अमित शाह आज बिहार दौरे पर हैं. अमित शाह ने यहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. दोनों नेताओं की मुलाकात नाश्ते पर 45 मिनट तक चली. उम्मीद जताई जा रही है कि इस मुलाकात में दोनों पार्टियों के प्रमुखों ने सीट बंटवारे पर बात की है.
नीतीश कुमार और अमित शाह के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी मौजूद रहे. नाश्ते पर शाह-नीतीश और सुशील मोदी के अलावा बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव, नित्यानंद राय भी मौजूद रहे.
Patna: BJP President Amit Shah meets Bihar Chief Minister Nitish Kumar. Deputy CM Sushil Modi also present pic.twitter.com/byxP745c3A
— ANI (@ANI) July 12, 2018
नाश्ते और डिनर पर होनी वाली इसी मुलाकात से तय होगा कि 2019 में बीजेपी-जेडीयू कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. भारतीय जनता पार्टी संपर्क फॉर समर्थन चला रही है, इसी के तहत शाह पूरे देश का दौरा कर रहे हैं. नीतीश संग बैठक के बाद शाह अपनी पार्टी के सोशल मीडिया वर्कर्स को भी संबोधित करेंगे. देर रात नीतीश कुमार और अमित शाह एक बार फिर डिनर पर बात करेंगे.
#Bihar: BJP President Amit Shah arrives in Patna to meet Bihar Chief Minister Nitish Kumar. pic.twitter.com/6xkqmsk2hg
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नाश्ते में क्या?
जिस दौरान अमित शाह और नीतीश कुमार राजनीति की बातें कर रहे होंगे तो उनके लिए बिहार का स्पेशल खाना परोसा जाएगा. नाश्ते में पोहा, उपमा, सत्तू के पराठे, चना तोरई की सब्जी तैयार की गई है. इसके अलावा भी आलू की सब्जी, मट्ठा, फल का भी बंदोबस्त किया गया है.
लोकसभा चुनाव में अब करीब 8 महीने बचे हैं लेकिन एनडीए के सभी घटक दलों ने बीजेपी पर सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. बीजेपी के रणनीतिकार चाहते हैं कि सीटों का बंटवारा 2014 लोकसभा चुनाव के अनुसार हो, जिसमें बीजेपी के हिस्से बिहार से 22 सीटों पर जीत मिली थी.
रामविलास पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा के साथ मिलकर गठबंधन में बीजेपी ने 30 सीटें लड़ी थी. बीजेपी करीब 22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और बड़े भाई की भूमिका चाहती है. लेकिन दूसरी तरफ जेडीयू 2015 लोकसभा चुनावों का हवाला देकर बड़े भाई की भूमिका चाहती है.
लोकसभा की कुल 40 सीटें
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में इन 40 सीटों में से एनडीए को कुल 31 सीटों पर जीत हासिल हुई. एनडीए की 31 सीटों में बीजेपी ने 22, लोजपा ने 6 और रालोसपा ने 3 सीटों पर कब्जा जमाया. तब जेडीयू अकेले चुनावी समर में उतरी थी तो चालीस सीटों में से दो सीटों पर ही जीत मिली थीं, लेकिन जेडीयू का मानना है कि बुरे हालात में भी 16-17 फीसदी वोट हासिल हुए.
सूत्रों की मानें तो जेडीयू चाहती है कि दोनो पार्टियां 17-17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े हैं. बाक़ी की सीटें एलजेपी और आरएलएसपी को दे दी जाएं. जेडीयू इसके अलावा यूपी और झारखंड में 4 सीटें चाहती है. सियासी गलियारों में जेडीयू के आरजेडी और कांग्रेस नेताओं के साथ अंदरखाने बातचीत की खबरें भी सुर्खियों में है. सियासत के जानकार इसे जेडीयू की प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा मान रहे हैं.
2014 से 2018 तक देश की सियासत में काफी बदलाव आ चुके हैं. विपक्षी दलों को बीजेपी के विधानसभा चुनावों में बढ़ते प्रभाव से अपने वजूद बचाने की चिंता सताने लगी है, तो एनडीए के सहयोगी दलों के साथ पिछले 4 सालों में बीजेपी के साथ खट्टे-मीठे अनुभवों के मद्देनजर अब अपने फैसलों पर पुनर्विचार करने में लगे हुए हैं. लोकसभा चुनावों से पहले एनडीए में शामिल बीजेपी के कई सहयोगी एक-एक कर साथ छोड़ने लगे हैं.
टीडीपी, जीतन राम मांझी की हम और पीडीपी एनडीए से बाहर निकल चुकी हैं. वहीं, शिवसेना ने 2019 में अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अकाली दल ने भी राज्य सभा के उप सभापति पद पर दावेदारी ठोक कर बीजेपी की मुश्किलों को बढ़ाने का काम किया है.
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों के तालमेल और राज्य में कौन बड़ा भाई है, इन लेकर पिछले एक महीने से जमकर बयानबाजी हो रही है. हालांकि जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार ने साफ कहा कि लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. इसके लिए उन्होंने सीटों का फॉर्मूला भी दिया है.