पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के बाद एक बार फिर से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है. महागठबंधन के नेताओं का मनोबल अब हाई कॉन्फिडेंस पर जा चुका है. बीते सोमवार की शाम आनंद मोहन के बेटे चेतन की सगाई हो रही थी तो सगाई में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी पहुंचे. जहां ललन सिंह और आनंद मोहन काफी देर तक एक साथ घूमते नजर आए.
आनंद मोहन के साथ ललन सिंह गाड़ी पर भी बैठे, जहां दोनों ने आजतक से खास बातचीत भी की. इस दौरान ललन सिंह का कॉन्फिडेंस आगामी चुनाव को लेकर हाई दिखाई दिया. ललन सिंह ने कहा कि अब आनंद मोहन जी रिहा हो चुके हैं. अब हमलोग एक गाड़ी पर बैठ गए हैं, ये गाड़ी रुकने वाली नहीं है. ये गाड़ी लक्ष्य तक पहुंचकर रुकेगी.
ललन सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य है बिहार में 40 सीटों पर जीत दर्ज करना. भाजपा को दूर-दूर तक नहीं भटकने देंगे. जेडीयू अध्यक्ष ने कहा कि अब उनके पास संख्या ही कहां है. देश के सारे विपक्ष हमारे साथ हैं. उनकी संख्या 303 है आने वाले चुनाव में घटकर 150 से नीचे आ जाएगी. भाजपा अब लड़ाई में ही नहीं है. वहीं उसी गाड़ी में ड्राइविंग सीट पर बैठे आनंद मोहन ने कहा कि हमारी बातचीत हो गई है. ललन बाबू ने सब कुछ कह ही दिया है.
बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई के लिए बिहार में कानून बदले गए थे. जिसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि आनंद मोहन जल्द ही रिहा हो सकते हैं, लेकिन उनके बेटे के सगाई के दिन ही उन्हें रिहाई के रूप में तोहफा भेंट किया गया.
ललन ने पूछा- भाजपाइयों के पेट में दर्द क्यों?
इससे पहले ललन सिंह ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर ट्वीट भी किया था. जिसमें बीएसपी सुप्रीमो मायावती का ट्वीट शेयर करते हुए बीएसपी को यूपी में बीजेपी की बी टीम बताया था. उन्होंने कहा कि नीतीश जी आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं करते हैं.
जेडीयू नेता ने लिखा, "श्री आनंद मोहन जी की रिहाई पर अब भाजपा खुलकर आई है. पहले तो यूपी की अपनी बी टीम से विरोध करवा रही थी. बीजेपी को यह पता होना चाहिए कि श्री नीतीश कुमार जी के सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं किया जाता है. श्री आनंद मोहन जी ने पूरी सजा काट ली और जो छूट किसी भी सजायाफ्ता को मिलती है वह छूट उन्हें नहीं मिल पा रही थी क्योंकि खास लोगों के लिए नियम में प्रावधान किया हुआ था. श्री नीतीश कुमार जी ने आम और खास के अंतर को समाप्त किया और एकरूपता लाई तब उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त हुआ. अब भाजपाइयों के पेट में न जाने दर्द क्यों होने लगा है....! भाजपा का सिद्धांत ही है विरोधियों पर पालतू तोतों को लगाना, अपनों को बचाना और विरोधियों को फंसाना... वहीं श्री नीतीश कुमार जी के सुशासन में न तो किसी को फंसाया जाता है न ही किसी को बचाया जाता है."