डीएम हत्याकांड में काट रहे बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की 15 साल बाद जेल से रिहाई हो गई है. नीतीश सरकार ने जेल अधिनियम में बदलाव करके आनंद मोहन समेत 27 कैदियों को रिहा कर दिया है. नीतीश सरकार के इस फैसले की आलोचना भी की जा रही है. आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी और बेटी ने इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही है, वहीं आईएएस एसोसिएशन ने भी सरकार की आलोचना करते हुए फैसले को गलत बताया है. हालांकि सरकार के इस फैसले से आनंद मोहन के समर्थक बहुत खुश हैं और लड्डू बांट रहे हैं.
आनंद मोहन की रिहाई के बाद सहरसा में उनके समर्थकों में खुशी का माहौल है और वहां लड्डू बांटे जा रहे हैं, खीर खिलाई जा रही है. आजतक से बात करते हुए समर्थकों ने कहा कि जिस तरह भगवान राम वनवास के बाद लौटे थे, उसी तरह आनंद मोहन की रिहाई पर हम लोग आज और कल दिवाली मनाएंगे. देर से ही सही, सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई का फैसला लिया, हम सरकार को इसके लिए धन्यवाद देते हैं. पूरा बिहार आनंदमय हो गया है.
लवली आनंद हुईं भावुक
वहीं पति की रिहाई पर लवली आनंद काफी खुश हैं. उन्होंने इसके लिए नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया. लवली ने कहा, "हम खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं. वो निर्दोष हैं, भगवान जानते हैं. हम सीएम साहब के प्रति धन्यवाद देते हैं. बिहार सरकार का भी हम आभार करते हैं."
बिहार सरकार ने दी सफाई
आनंद मोहन की रिहाई पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. इसको लेकर बिहार सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सरकार का पक्ष रखते हुए सफाई दी है. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को कोई विशेष छूट नहीं दी गई है. उनकी रिहाई भी जेल नियमों के मुताबिक ही हुई है.
जी कृष्णैया की हत्या में आनंद मोहन को हुई थी सजा
तेलंगाना में जन्मे आईएएस अधिकारी कृष्णैया अनुसूचित जाति से थे. वह बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे और 1994 में जब मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे. इसी दौरान भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी. इस दौरान इन्हें गोली भी मारी गई थी. आरोप था कि डीएम की हत्या करने वाली उस भीड़ को कुख्यात बाहुबली आनंद मोहन ने ही उकसाया था. यही वजह थी कि पुलिस ने इस मामले में आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली समेत 6 लोगों को नामजद किया था.