आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जेल क्या गए, उनके दोस्त धीरे-धीरे उनसे किनारा करने लगे हैं. अब जो सबसे महत्वपूर्ण हस्ती उनका साथ छोड़ती दिख रही है वो हैं रामविलास पासवान. लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सुप्रीमो इन दिनों नए ठिकाने की तलाश में हैं.
दरअसल यह सब रामविलास पासवान और लालू प्रसाद के पुत्र-प्रेम के कारण ही हो रहा है. दोनों अपने-अपने बेटों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए प्रयासरत हैं और उसके हिसाब से ही काम कर रहे हैं. जब लालू प्रसाद ने अपने बेटों के लिए मंच तैयार किया तो एलजेपी ने कुछ नहीं कहा लेकिन जब पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान को आगे बढ़ाना शुरू किया तो आरजेडी नाराज हो गई.
उसके एक नेता जावेद अंसारी ने एलजेपी को विश्वासघाती पार्टी बताया. लालू के खास मित्र रघुवंश प्रसाद सिंह ने तो यह भी कहा कि आरजेडी को लोकसभा की 40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. एलजेपी ने इस बात पर उन्हें आड़े हाथों लिया.
बताया जाता है कि रामविलास पासवान लोक सभा चुनाव में जेडी (यू) या कांग्रेस के साथ जाने की संभावना पर गौर कर रहे हैं. लेकिन यह बात आरजेडी को पसंद नहीं आ रही है. वह चाहती है कि पहले की तरह ही एलजेपी उनके साथ चुनाव लड़े.
एलजेपी के संसदीय बोर्ड के चेयरमैन चिराग पासवान ने कहा कि अगर स्थितियां विपरीत रहीं तो हम सभी 40 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेंगे. चिराग पासवान ने तो यह भी कहा कि उनके पास इतनी ताकत है कि वह अकेले ही चुनाव लड़ सकते हैं. भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि चिराग बीजेपी की ओर झुक रहे हैं और वह उनसे चुनावी समझौता करने को उत्सुक हैं. ध्यान रहे कि रामविलास पासवान को एनडीए ने मंत्री पद दिया था लेकिन कांग्रेस ने कोई पद नहीं दिया. इस बात की तकलीफ बाप-बेटे को है.
एलजेपी के बड़े नेता इस समय इस बात पर एकमत नहीं हैं कि वे किसके साथ चुनाव लड़ें. वे सही समय का इंतजार कर रहे हैं.