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केजरीवाल पर लगा IRS से बगैर इस्तीफा दिए एनजीओ से सैलरी लेने का आरोप

दिल्ली विधानसभा चुनाव से ऐन पहले आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. अन्ना विवाद, फिर स्टिंग ऑपरेशन और अब दोहरी सैलरी का मामला. आरोप है कि केजरीवाल ने 2003 से 2006 के बीच आईआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) की नौकरी के दौरान एक एनजीओ से भी सैलरी लेते रहे.

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अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा चुनाव से ऐन पहले आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. अन्ना विवाद, फिर स्टिंग ऑपरेशन और अब दोहरी सैलरी का मामला. आरोप है कि केजरीवाल ने 2003 से 2006 के बीच आईआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) की नौकरी के दौरान एक एनजीओ से भी सैलरी लेते रहे.

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विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों और उनसे जुड़े नेताओं के बारे में कई हैरान करने वाले और चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं. आज तक को साल 2006 में हुई एक वारदात के बारे में पता चला है जिसमें आम आदमी पार्टी की दिवंगत नेता संतोष कोली और अरविंद केजरीवाल के पूर्व सहयोगी का वो बयान है जो काफी चौंकाने वाला है. कोर्ट में दिए गए अपने बयान में दोनों ने माना है कि साल 2003 से 2006 तक अरविंद केजरीवाल ने अपने एनजीओ 'परिवर्तन' से बाकायदा 25 हजार रुपये सैलरी के तौर पर लिए जबकि उस वक्त तक अरविंद ने आईआरएस के पद से इस्तीफा नहीं दिया था.

केजरीवाल के पूर्व सहयोगी राजीव कुमार ने कोर्ट में बयान दिया था कि 'अरविंद सैलरी लेते थे, उस वक्त तक रिजाइन नहीं किया था.' कड़कड़डूमा कोर्ट में ही संतोष कोली और राजीव कुमार के बयान दर्ज कराने वाले वकील के. के. त्यागी भी मानते हैं कि एक एनजीओं के प्रेसिडेंट के तौर पर अरविंद संस्था से पैसा ले ही नहीं सकते थे और ये पूरा मामला कानून का खुलेआम उल्लंघन है.

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इन आरोपों पर जब आज तक ने केजरीवाल से जवाब मांगा तो उन्होंने इन आरोपों से खारिज कर दिया और कहा कि वो कड़कड़डूमा कोर्ट के उस बयान की कॉपी को भी देखना चाहेंगे. उन्होंने कहा, 'मुझे याद नहीं आ रहा है कि मैंने कभी सैलरी ली.'

बहरहाल केजरीवाल खुलासे के बाद सफाई तो जरूर दे रहे हैं लेकिन चुनावी मौसम की ठंड अब 'आप' को भी अपनी चपेट में ले रही है

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