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Bihar : मुजफ्फरपुर में टीन शेड वाला सरकारी स्कूल, दीवारों के नाम पर केवल बांस

जफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड क्षेत्र के मधुबन प्रताप गांव में पिछले 10 वर्षों से बांस-टीन शेड से बना स्कूल संचालिक किया जा रहा है. जहां दो सौ विद्यार्थी इस स्कूल में नामांकित है. इस स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है. जिसे दो शिक्षक ही सभी क्लास के स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं.

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पढ़ाई करते बच्चे और कुर्सी पर बैठी शिक्षिका.
पढ़ाई करते बच्चे और कुर्सी पर बैठी शिक्षिका.

एक और बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर के 'रामचरितमानस' को लेकर दिए बयान पर राजनीति गर्माई हुई है. वहीं, दूसरी ओर बिहार सरकार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर सामने आई है. यहां के गांव में झोपड़ी में स्कूल संचालित हो रहा है. केवल 2 शिक्षक कक्षा पहली से कक्षी 8वीं तक के बच्चों को शिक्षा देते हैं. झोपड़ी की हालत ऐसी है कि वह कभी भी गिर सकती है. कहा गया कि इसे भी गांव के लोगों ने चंदा जोड़कर बनवाया था. सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

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दरअसल, मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड क्षेत्र के मधुबन प्रताप गांव में पिछले 10 वर्षों से बांस-टीन शेड से बना स्कूल संचालिक किया जा रहा है. जहां दो सौ विद्यार्थी इस स्कूल में नामांकित है. इस स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है. जिसे दो शिक्षक ही सभी क्लास के स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं.

बांस-फूस का स्कूल.
बांस-फूस का स्कूल.

चंदा जोड़कर स्कूल बनाया, अब फिर कराएंगे मरम्मत

बताया गया कि बिहार सरकार की बेरुखी के चलते गांव के लोगों ने ही चंदा जोड़कर स्कूल तैयार कराया था. अब फिर से इसकी हालत खराब हो रही है. दीवारों टूट गई हैं और छत भी खराब हो रही है. तो फिर से चंदा जोड़कर इसे गांववाले खुद ही सही करेंगे, जिससे उनके बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें.

हमेशा बना रहता है जान का खतरा

कहा गया कि इस स्कूल की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि हमेशा ही जान का खतरा बना रहा है. जब कभी तेज बारिश या फिर तेज आंधी चलती है तो हादसा होने का डर बना रहता है. वहीं, यहां पर सांप-बिच्छू का भी खतरा रहता है. इस विद्यालय के विद्यार्थी बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं से भी वंचित हैं.

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प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने कही यह बात

इस मामले पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी परमानंद शर्मा का कहना है कि जहां भी इस तरह की समस्या आ रही है हम लोग अपने स्तर से पदाधिकारियों को जानकारी देंगे और बच्चे को ऐसे स्कूल में ना पढ़ना पड़े, इसलिए सभी को दूसरी जगह जमीन मुहैया करवाकर और पक्के बिल्डिंग तैयार करवाकर वहां शिफ्ट करेंगे. 

यह है स्कूल के प्रधानाध्यापक का कहना

स्कूल के प्रधानाध्यापक राजेश कुमार का कहना है कि यहां काफी समस्या उत्पन्न होती है. चंदा इकट्ठा कर स्कूल का निर्माण करवाया गया है. सरकार के द्वारा कोई मदद नहीं की जा रही है. कई बार हम लोगों ने इस मामले से अवगत करवाया, लेकिन आज तक भवन निर्माण नहीं हो सका.

बच्चों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. आपदा के समय में तो काफी परेशानी होती है. यहां सांप सहित दूसरे जहरीले कीड़े-मकोड़ों का भी डर लगा रहता है. वहीं, प्रखंड प्रमुख अनामिका भारती का कहना है कि स्कूल भवन  को लेकर हमने प्रस्ताव आगे दिया है. अब बीईओ और डीईओ को भवन निर्माण को लेकर फैसला करना है. 

 

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