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बगहा: दो हाथी, ड्रोन और 7 शार्प शूटर... 9 लोगों की जान लेने वाले आदमखोर बाघ को मारने की पूरी कहानी

बिहार के बगहा में मारे गए आदमखोर बाघ को मारने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे. इसके लिए बिहार पुलिस के 7 शार्प शूटर बुलाए गए. साथ ही 2 हाथी भी इस काम में लगाए गए थे. इसके अलावा ड्रोन कैमरा का भी इस्तेमाल किया गया. इस बाघ को मारने के लिए नेपाल से एक्सपर्ट्स बुलाए गए थे.

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बगहा में बाघ के आतंक से परेशान थे लोग
बगहा में बाघ के आतंक से परेशान थे लोग

बिहार के पश्चिमी चंपारण में बसे बगहा (Bagaha) में आतंक मचा रहे आदमखोर बाघ को मार गिराया गया है. यह पहला मौका था जब किसी बाघ को गोली मारने का आदेश दिया गया. इस बाघ ने पिछले कई महीनों से आतंक मचा रखा था. इसने करीब 10 लोगो को अपना शिकार बनाया था, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. इसमें से 9 लोगों की मौत हो गई थी. शनिवार की सुबह इसने रामनगर ब्लॉक के बलुआ गांव में एक महिला और 7 साल के बच्चे को मार दिया.

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वन विभाग ने ऐसे चलाया ऑपरेशन

आतंक को खत्म करने के लिए बाघ को मारने का ऑपरेशन शुरू हुआ. वन विभाग को उसके इस इलाके से भागने के निशान नहीं मिले और जब साफ हो गया कि बाघ इसी इलाके के गन्ने के खेत मे छिपा है फिर उसे खोजने का अभियान शुरू हुआ. इसके लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया. लेकिन सफलता नहीं मिली, क्योंकि 8 से 10 फीट लंबे गन्ने में बाघ को खोजना मुश्किल था. तब 2 हाथियों को उसकी खोज के लिए गन्ने के खेत में उतारा गया.

हाथियों पर सवार होकर ली गई बाघ की जान

बाघ को मारने के लिए बिहार पुलिस के 7 शार्प शूटर बुलाए गए थे, जो इलाके के पेड़ों और हाथियों पर सवार थे. पूरे इलाके को कॉर्डन ऑफ किया गया. खेतो में जाल लगाए. हाथियों के सहारे बाघ को घेरा गया और उसे मार दिया गया. बाघ को हाथी पर सवार शार्प शूटरों ने मारा. चार गोलियों ने इस इलाके में आतंक मचा रहे बाघ को शांत कर दिया.

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पड़ोसी देश से बुलाए गए एक्सपर्ट

बाघ के आदमखोर हो जाने के कारण राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) ने उसे मारने का आदेश दिया था. बिहार में इस तरह की यह पहली घटना थी. इस अभियान में वन विभाग के अलावे STF, SSB और कई थानों की पुलिस को लगाया गया था. पड़ोसी देश नेपाल के भी एक्सपर्ट बुलाए गए थे.

गांव वालों ने पकड़ ली बाघ को देखने की जिद

बाघ के दहशत से इस इलाके के कई दर्जन गांव के लोग प्रभावित थे. उनकी रातों की नींद और दिन का चैन इस बाघ ने तबाह कर रखा था. बाघ के मारे जाने के बावजूद गांव के लोगों को तसल्ली नहीं हो रही थी. वो मरे हुए बाघ को देखना चाहते थे जो कि सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं था. ग्रामीणों ने वन विभाग की गाड़ियों को रोक लिया और बाघ की बॉडी देखने को लेकर आक्रोशित हो रहे थे. जैसे तैसे ग्रामीणों को शांत किया गया. लेकिन बाघ के दहशत में जी रहे लोग उसे मरा हुआ देखकर सकून की सांस लेना चाहते थे. लेकिन प्रशासन की अपनी मजबूरी थी.

मारे गए आदमखोर बाघ ने इन लोगों की जान ली-

08 मई को अविनाश कुमार बैरिया कला हरनाटांड़

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14 मई को जिमरी, नौतनवा सेमरा थाना

20 मई को पार्वती देवी, कटाह पुरैना, चिउटहां थाना 

14 जुलाई धर्मराज काजी, बैरिया कला हरनाटांड़ 

12 सितंबर गुलाबी देवी, बैरिया कला हरनाटांड़ 

21 सितंबर रामप्रसाद उरांव, बैरिया कला सरेह में हरनाटांड़

06 अक्टूबर को बगड़ी कुमारी, सिगाही गांव

07 अक्टूबर को संजय महतो, डुमरी थाना गोबर्धना और बलुआ गांव की 35 वर्षीय महिला और उसका 10 वर्षीय बेटा

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