बिहार में पहला ऐसा मामला देखने को मिला है, जहां एक मां ने अपने बेटे की बुरी आदत के खिलाफ कोर्ट में केस कर दिया. मुकदमा लड़कर उसे सजा दिलवाई. दलीलें सुनने के बाद सिविल कोर्ट के एडीजे चार की न्यायालय (Civil Court) ने दोषी को पांच साल कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट के इस फैसले और मां के साहसिक कदम की काफी चर्चा हो रही है.
विशेष लोक अभियोजक राजेश कुमार ने बताया कि 10 जून को अपने बेटे की शराब पीने की बुरी आदत के खिलाफ नगर थाना में मामला दर्ज कराया गया था, जहां कोर्ट ने तमाम सबूत और दलीलों के बाद दोषी आदित्य कुमार को पांच साल की सजा व 1 लाख का आर्थिक दंड लगाया है.
कोर्ट के फैसले व मां के साहसिक कदम को काबिले तारीफ बताते हुए अधिवक्ता अभिषेक कुमार और अरशद मोहम्मद जफर ने कहा कि शराबबंदी कानून लागू करने में यह एक सराहनीय भूमिका है.
आरा सिविल कोर्ट के एडीजे चार त्रिभुवन यादव की विशेष एक्साइज अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में शराब पीकर हंगामा करने के आरोप में एक मां द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर चल रहे ट्रायल में उसके ही पुत्र को 5 साल की सश्रम सजा सुनाई. एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. यह मामला आरा नगर थाना क्षेत्र के प्रकाश पुरी शीतल टोला मोहल्ले का है.
10 जून को एक महिला रामावती देवी ने नगर थाने को फोन कर अपने पुत्र आदित्य राज उर्फ बिट्टू के शराब के नशे में धुत होकर उसके व उसके पति के साथ मारपीट करने की सूचना दी थी. मौके पर पहुंची पुलिस ने आदित्य राज उर्फ बिट्टू को नशे की हालत में गिरफ्तार कर उसका मेडिकल जांच कराने के बाद जेल भेज दिया था.
इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में महिला ने आरोप लगाया कि उसके बेटे बिट्टू ने उसके साथ और उसके पति के साथ शराब के नशे में गाली गलौज तथा मारपीट कर रुपये छीन लिए. मां ने बेटे पर यह भी आरोप लगाया कि उनका बेटा नशे की हालत में मारपीट करने के साथ ही उन्हें कमरे में बंद कर देता था. एक्साइज के विशेष लोक अभियोजक राजेश कुमार ने बताया कि इस ट्रायल में अभियोजन की तरफ से तीन गवाह पेश किए गए, जिसमें इस मामले की सूचक तथा अभियुक्त की मां रामावती देवी ने गवाही दी.
पुलिस की तरफ से मजहर हुसैन व मामले की अनुसंधानकर्ता नीता कुमारी ने बयान अदालत में दर्ज कराया. कोर्ट में दलीलों के बाद यह फैसला सुनाया गया. महिला द्वारा केस लड़कर कोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले के बाद पूरे कोर्ट परिसर में चर्चाओं का दौर जारी रहा. इस मामले में कई अधिवक्ताओं ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने में एक मां की अहम भूमिका की सराहना की.
क्यों खास है यह मुकदमा?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जारी शराब बंदी अभियान में यह अब तक का अनोखा मामला है. इसमें एक मां ने अपने बेटे को सही दिशा दिखाने के लिए न सिर्फ अदालत की शरण ली, बल्कि उसे सजा दिलाकर समाज के लिए भी एक आदर्श स्थापित किया है. बिहार में अपने तरह का यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें एक मां ने अपने बेटे को 5 साल की सजा दिलाई है.
मां की कोशिश थी कि बेटे की शराब की लत छूट जाए
रामावती देवी ने अपने बेटे शराब की लत छुड़ाने के लिए उसे चिकित्सकों के पास भी दिखाया था. उसकी दवा कराई थी. बावजूद इसके बेटे की शराब की लत नहीं छूट सकी. परेशान होकर मां को यह कड़ा फैसला लेना पड़ा. बहरहाल जब इस मामले में रमावती देवी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कैमरे पर बोलने से साफ मना कर दिया.
न्यायालय ने नियुक्त किया एमिकस क्यूरी
जब शराबी बेटे के उत्पात से परेशान मां ने पुलिस की शरण ली तो उसके बचाव में परिवार का कोई भी सदस्य सामने नहीं आया. यहां तक कि उसके आस-पड़ोस और दोस्तों ने भी कोई मदद नहीं की. नतीजा यह हुआ कि इस मामले में आदित्य उर्फ बिट्टू के लिए कोई अधिवक्ता न्यायालय में नियुक्त नहीं किया जा सका. अंततः अदालत को इसमें अभियुक्त की उचित पैरवी के लिए एमिकस क्यूरी को नियुक्त करना पड़ा. बचाव पक्ष की तरफ से एमिकस क्यूरी रूबी कुमारी ने बहस की, जबकि अभियोजन की तरफ से विशेष लोक अभियोजक, एक्साइज राजेश कुमार ने बहस की.
इस मुकदमे में पुलिस की क्या रही भूमिका?
इस मुकदमे में पुलिस की भूमिका भी सराहनीय रही. रामावती देवी की सूचना पर नगर थाना के दारोगा मजहर हुसैन पीड़ित के घर पहुंचे. नशे की हालत में बिट्टू को हिरासत में लेकर उसका मेडिकल कराया. इसके आधार पर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. इस कांड की अनुसंधानकर्ता नीता कुमारी ने अदालत में जरूरी साक्ष्य समय पर प्रस्तुत किए. पीड़ित मां की गवाही करवाई. स्वयं मजहर हुसैन व नीता कुमारी ने भी अदालत में अपना बयान दर्ज करवाया.