बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार की वजह से अभी तक 108 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. पिछले एक हफ्ते से हाहाकार मचा है लेकिन राज्य के मुखिया नीतीश कुमार अब जाकर अस्पताल में सुध लेने पहुंचे हैं. नीतीश जब अस्पताल में पहुंचे तो उनका जमकर विरोध किया गया. बाहर खड़े लोगों ने 'नीतीश गो बैक' के नारे भी लगाए.
सरकार एक्शन का दावा कर रही है तो वहीं अभी भी अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 414 हो गई है. चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर मरीज मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में एडमिट हैं.
अब तक एसकेएमसीएच हॉस्पिटल में 89 और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हो गई है. वहीं चमकी बुखार पर मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज (मंगलवार) मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच हॉस्पिटल पहुंचे और हालात का जायजा लिया.
Muzaffarpur: Locals hold protest outside Sri Krishna Medical College and Hospital as Bihar CM Nitish Kumar is present at the hospital; Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) is 108. pic.twitter.com/dRZ1TfQ4o5
— ANI (@ANI) June 18, 2019
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है. बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है.
मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर जिले में इंसेफेलाइटिस वायरस की वजह से बच्चों की मौत की बढ़ती संख्या पर सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी किया है.
मानवधिकार आयोग ने कहा कि सोमवार को बिहार में एईएस से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 100 से ज्यादा हो गई है और राज्य के अन्य जिले भी इससे प्रभावित हैं. इसके साथ ही आयोग ने इंसेफेलाइटिस वायरस और चमकी बुखार की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है. मानवधिकार आयोग ने चार हफ्तों में जवाब मांगा है.
मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक
बिहार में महामारी की तरह फैल रहे चमकी बुखार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक की. जिसके बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया, सरकार ने फैसला किया है कि उनकी टीम हर उस घर में जाएगी जिस घर में इस बीमारी से बच्चों की मौत हुई है, टीम बीमारी के बैक ग्राउंड को जानने की कोशिश करेगी, क्योंकि सरकार अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि आखिर इस बीमारी की वजह क्या है. कई विशेषज्ञ इसकी वजह लीची वायरस बता रहे हैं, लेकिन कई ऐसे पीड़ित भी हैं, जिन्होंने लीची नहीं खाई.
चमकी बुखार से राज्य के 12 जिले प्रभावित
नीतीश कुमार की बैठक में फैसला किया गया कि चमकी से प्रभावित बच्चों को निशुल्क एंबुलेंस मुहैया कराई जाएगी और पूरे इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. वहीं इस बीमारी से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि चमकी बुखार से बिहार के कुल 12 जिले के 222 प्रखंड प्रभावित हैं. लेकिन इनमें से 75 प्रतिशत केस मुजफ्फरपुर में हैं.
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र सिंह कुशवाहा ने भी सोमवार को अस्पताल का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 5 साल पहले भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जांच का ऐलान और 100 बेड के सुपर स्पेशलिटी वाले यूनिट के निर्माण का ऐलान किया था. 2014 में 379 बच्चों की मौत हुई थी.