नरेंद्र मोदी के पीएम कैंडिडेट बनने के मुद्दे पर एनडीए से अलग हुए जेडीयू नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव में करारी हार मिली. बिहार में 20 से 2 सांसदों में सिमटने के बाद जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने उन्हें चुनौती देने की कोशिश की. इस सियासी पैंतरे को भांप नीतीश ने त्यागपत्र दे दिया और एक महादलित जीतनराम मांझी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया. अब नीतीश की नजरें अपनी पार्टी के संगठन पर कब्जा और दिल्ली में नए सिरे से सियासी संबंध बनाने पर हैं.
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक नीतीश जल्द ही राज्यसभा के रास्ते सांसद बन अपने दिल्ली अभियान की शुरुआत कर सकते हैं. राज्यसभा की दावेदारी शरद यादव भी कर रहे हैं, जो मधेपुरा से राष्ट्रीय जनता दल के पप्पू यादव के हाथों बुरी तरह चुनाव हार गए. शरद को दिल्ली की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए सांसदी की बुरी तरह से दरकार है. ऐसे में एक सियासी सौदा यह भी हो सकता है कि शरद पार्टी के मुखिया का पद नीतीश के लिए खाली कर दें और नीतीश बदले में उन्हें बिहार से राज्यसभा सांसद बनवा दें.
लोकसभा चुनावों में बिहार के तीन राज्यसभा सांसद चुनाव जीते हैं. इनमें बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी हैं, जिन्होंने सारण से लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी को हराया. उधर लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान हाजीपुर से चुनाव जीते. अब उन्हें आरजेडी के समर्थन से मिली राज्यसभा सीट खाली करने में कोई गुरेज नहीं होगा. राज्यसभा से इस्तीफा देने वाले तीसरे नेता होंगे लालू प्रसाद के पुराने साथी और अब बीजेपी के पाटलिपुत्र से सांसद रामकृपाल यादव.
बिहार विधानसभा में जेडीयू के 116 सदस्य हैं. उसके लिए अपनी पार्टी के कैंडिडेट को राज्यसभा के उपचुनाव में जितवाना आसान है. ऐसे में एक सीट नीतीश कुमार अपने लिए रिजर्व कर सकते हैं. राज्यसभा आने के बाद नीतीश बिहार को स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर सदन में अपनी बात जोरदार ढंग से रख सकते हैं. इसके अलावा वह गैरकांग्रेसी-गैरभाजपाई दलों की लामबंदी का काम भी कर सकते हैं. मगर फिलहाल नीतीश के एजेंडे में टॉप पर होगा जेडीयू के संगठन को कब्जे में ले उसमें अपने लोगों को सेट करना.
नीतीश कुमार चाहते हैं कि अगले साल जब वह बिहार विधानसभा चुनाव के लिए गोटियां बिछाना शुरू करें तो उन्हें पार्टी के स्तर पर किसी भी किस्म की किंतु परंतु न झेलनी पड़े. ऐसे में शरद यादव और उनके सहयोगियों मसलन केसी त्यागी वगैरह का साइडलाइन होना लगभग तय है.