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बिहार: दुधारू जानवरों को मिलेगा अपना 'आधार कार्ड', खुलेगी पूरी कुंडली

बिहार लाइवस्टॉक डेवलपमेंट एजेंसी (बीएलडीए) के निदेशक डॉ धीरेंद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि पशुओं को यूआईडी देने का काम केंद्र सरकार के इंफॉर्मेशन नेटवर्क फॉर एनिमल प्रोडक्टिविटी एंड हेल्थ (इनफ) योजना के तहत किया जा रहा है.

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जानवरों को 12 अंकों का एक नंबर दिया जाएगा(फोटो- aajtak)
जानवरों को 12 अंकों का एक नंबर दिया जाएगा(फोटो- aajtak)

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बिहार में अब दुधारू पशुओं (गाय, भैंस) को यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा, ताकि उनकी खुद की पहचान सुनिश्चित की जा सके. पशुओं की जानकारी जुटाने के बाद उन्हें 12 अंकों का एक नंबर दिया जाएगा और कान में बार कोड वाला विशेष टैग लगाया जाएगा. इस 'ईयर टैंगिंग' के जरिए एक क्लिक से उनके स्वास्थ्य और बीमारी से संबंधित सभी जानकारियों का पता लगाया जा सकेगा. यही नहीं ऐसी गायों और भैंसों के कृत्रिम गर्भाधान कराने का भी फैसला किया गया है.

बिहार लाइवस्टॉक डेवलपमेंट एजेंसी (बीएलडीए) के निदेशक डॉ धीरेंद्र कुमार ठाकुर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि राज्य में करीब 95 लाख प्रजनन योग्य गाय-भैंस हैं, जिनमें टैग लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि पशुओं को यूआईडी देने का काम केंद्र सरकार के इंफॉर्मेशन नेटवर्क फॉर एनिमल प्रोडक्टिविटी एंड हेल्थ (इनफ) योजना के तहत किया जा रहा है.

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डॉ़ धीरेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि नई तकनीक से होने वाले कृत्रिम गर्भाधान से इन पशुओं के दूध उपादन क्षमता में दो-तीन गुना की वृद्धि होगी. उन्होंने कहा, 'फिलहाल प्रथम चरण में सभी जिलों में 100-100 गांवों का चयन किया जाएगा. प्रत्येक गांव में 100 पशुओं का चयन किया जाएगा. इसके बाद उन्हें तीन महीने तक अधिकतम तीन बार कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा. इससे पहले इनकी ईयर टैगिंग की जाएगी.

धीरेंद्र मानते हैं कि कई गांवों में 'ईयर टैंगिंग' को लेकर गलत धारणा बनी हुई है, जिस कारण समस्याएं आ रही हैं. इस बारे में ग्रामीणों को समझाया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'ईयर टैगिंग से एक क्लिक पर पशु और मालिक से जुड़ी तमाम जानकारी इकट्ठा होगी. पशु की नस्ल, उम्र, आखिरी प्रजनन और गर्भाधान का समय, दूध की मात्रा, बीमारियां, दी जाने वाली दवाइयां आदि का रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा. इसके साथ ही मालिक का नाम, पता आदि भी होगा.'

उन्होंने कहा कि ईयर टैगिंग के बाद भी पशुपालक पशुओं की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. साथ ही उन्होंने बताया, 'जब कोई पशु सरकारी अस्पताल आता है तो उसकी सही उम्र, नस्ल, प्रजनन, बीमारी संबंधी जानकारी नहीं होती.  इससे इलाज में परेशानी होती है. यूआईडी नंबर से उसकी जानकारी मिलेगी तो डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री ध्यान में रख इलाज करेंगे.'

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वह कहते हैं, 'अब तक देश में पशुओं का व्यवस्थित रिकॉर्ड नहीं है. राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्यक्रम शुरू किया गया है, ताकि दुधारू पशुओं के प्रजनन तथा स्वास्थ्य संबंधी मामलों में बेहतर सेवाएं दी जा सकें. गाय और भैंस को टैग लगाया जाएगा और जानकारी सॉफ्टवेयर पर अपलोड होगी.'

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