कोरोना संकट के बीच बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वर्चुअल रैली के जरिए चुनाव अभियान में जुटे हुए हैं. ऐसे में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बाद अब एनडीए के सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) प्रमुख चिराग पासवान ने भी कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव कराने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं बल्कि उसे टालने के संकेत दिए हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तल्ख रिश्तों के बीच एलजेपी ने गुरुवार को चिराग पासवान की अध्यक्षता में बिहार प्रदेश संसदीय बोर्ड की बैठक की. इस दौरान मौजूद बोर्ड के 10 सदस्यों से इस बात पर भी फीडबैक लिया गया कि कोरोना संकट के बीच चुनाव कराना कितना उचित है. इस दौरान एलजेपी के सदस्यों ने कोरोना महामारी के दौरान चुनाव नहीं करवाए जाने की वकालत की. हालांकि, इसके पीछे एलजेपी ने मुख्य रूप से तीन तर्क दिए हैं.
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एलजेपी का मानना है कि कोरोना के चलते समाज और सरकार पर आर्थिक बोझ काफी बढ़ गया है लिहाजा चुनाव से और ज्यादा बोझ नहीं बढ़ाया जा सकता. इसके अलावा बिहार में कोरोना महामारी दिन ब दिन फैलती जा रही है जिसका उदाहरण पटना और भागलपुर में दोबारा लगाया गया लॉकडाउन है. ऐसे में चुनाव करवाकर लोगों के स्वास्थ्य को ख़तरे में नहीं डाला जा सकता. पार्टी का तीसरा तर्क चुनाव में लोगों की भागीदारी को लेकर है.
एलजेपी का कहना है कि महामारी के डर के चलते ज्यादातर लोग चुनाव में हिस्सा लेने नहीं आ पाएंगे, जिसका सीधा असर मतदान फीसदी पर पड़ेगा. बिहार प्रदेश संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा कि ये हमारे लिए चिंता का विषय है और इस मसले को चुनाव आयोग को गंभीरता से लेना चाहिए. हालांकि, पार्टी की ओर से जारी बयान में दावा किया गया कि पार्टी किसी भी परिस्थिति में चुनाव लड़ने को तैयार है.
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एलजेपी से पहले आरजेडी भी बिहार चुनाव टालने की राय जाहिर कर चुकी है. तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कहा था कि यह समय चुनाव का नहीं है. जहां पूरा बिहार कोरोना के कारण बदहाल है, ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव को लेकर क्यों परेशान हैं? मुख्यमंत्री चाहते हैं कि लाशों के ढेर पर बिहार विधानसभा सभा चुनाव हो.
तेजस्वी ने सरकार पर हमला बोलते हुए आगे कहा था कि जुलाई महीने में जो हालात हैं इससे ज्यादा बदतर अगस्त और सितंबर महीने में होने वाले हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री को चुनाव से ज्यादा लोगों की फिक्र होनी चाहिए. करोना के ऐसे गंभीर समय में नीतीश कुमार चुनाव को लेकर जितने बेचैन हैं वह उनकी परेशानी को दिखाता है. नीतीश को डर है कहीं चुनाव राष्ट्रपति शासन में ना हो जाए और इसका नुकसान ना उठाना पड़ जाए.
बिहार में कोरोना के कुल मामले
इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं कि बिहार में कोरोना का संक्रमण अनलॉक 1 के बाद तेजी से बढ़ा है. शुक्रवार की सुबह तक बिहार में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 12125 पर पहुंच गए हैं जबकि 97 लोगों की मौत भी हो चुकी है. हालांकि, 8997 लोग कोरोना से ठीक होकर घर जा चुके हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव और चिराग पासवान का कोरोना के संक्रमण को लेकर आशंकित होना स्वाभाविक है.