scorecardresearch
 

ओवैसी की एमआईएमआईएम बिहार विधानसभा अध्यक्ष चुनाव में किसे देगी वोट?

बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए महागठबंधन की ओर से आरजेडी नेता अवध बिहारी चौधरी मैदान में हैं तो एनडीए की ओर से बीजेपी विधायक विजय कुमार सिन्हा किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) विधायक पशोपेश में फंसे हुए हैं कि किसे वोट करें और किसे नहीं? 

Advertisement
X
असदुद्दीन ओवैसी के साथ बिहार के AIMIM विधायक
असदुद्दीन ओवैसी के साथ बिहार के AIMIM विधायक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार में विधानसभा स्पीकर के चुनाव के लिए कल है वोटिंग
  • एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवारों के बीच होगा घमासान
  • ओवैसी के पांच विधायक बिहार में किसे देंगे वोट, इस पर होगी नजर

बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर महागठबंधन और एनडीए आमने-सामने हैं. महागठबंधन की ओर से आरजेडी नेता अवध बिहारी चौधरी मैदान में हैं तो एनडीए की ओर से बीजेपी विधायक विजय कुमार सिन्हा किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) विधायक पशोपेश में फंसे हुए हैं कि किसे वोट करें और किसे नहीं? 

Advertisement

बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी के पांच विधायकों ने जीत दर्ज की है. ऐसे में लोगों की नजर ओवैसी के विधायकों पर है कि स्पीकर के चुनाव में किसे वोट करते हैं. ऐसे में AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तारुल इमान का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए वह भी अपना उम्मीदवार उतार सकते हैं, लेकिन नामांकन की तारीख खत्म हो गई है. ऐसे में अब ओवैसी के विधायकों के पास विपक्ष और सत्तापक्ष के प्रत्याशी में से ही किसी एक के पक्ष में खड़ा होना होगा.

अख्तारुल इमान ने कहा है कि हम तीसरा मोर्चा हैं. ऐसे में उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि सत्ता पक्ष को अध्यक्ष का पद और विपक्ष को विधानसभा का उपाध्यक्ष का पद दिया जाना चाहिए. हालांकि, अब चुनावी प्रक्रिया के जरिए ही फैसला होना है. ऐसे में देखना होगा कि ओवैसी की पार्टी के जीते पांच विधायक किसे वोट करते हैं. इस पर बिहार ही नहीं बल्कि देश भर के लोगों की नजर होगी. 

Advertisement

बिहार विधानसभा अध्यक्ष के लिए बुधवार की सुबह 11:00 बजे से लेकर शाम 4:00 बजे तक वोटिंग होगी. शाम 5:00 बजे से होगी वोटों की गिनती होगी. सीटों के लिहाज से आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन बहुमत के आंकड़े के मुताबिक एनडीए का पलड़ा भारी है. इसके बावजूद आरजेडी ने विधानसभा अध्यक्ष के पद पर अपना प्रत्याशी उतारकर चुनावी प्रक्रिया के जरिए स्पीकर के चुनाव की पठकथा लिख दी है. 

बिहार के कुल 243 विधानसभा सदस्यों में से एनडीए के पक्ष में 126 विधायकों का समर्थन हासिल है, जिनमें बीजेपी 74, जेडीयू के 43, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के 4, वीआईपी के चार और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं. विपक्षी खेमे में महागठबंधन के साथ 110 विधायक हैं, जिनमें आरजेडी के 75, कांग्रेस के 19 और वामपंथी दलों के 16 विधायक का समर्थन है. इसके अलावा सात विधायक अन्य के पास हैं, जिनमें 5 AIMIM, एक एलजेपी और एक बसपा के विधायक हैं. ऐसे में देखना होगा कि ओवैसी की पार्टी के विधायक एनडीए या फिर महागठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में वोट करते हैं. 

कौन हैं अवध बिहारी चौधरी
अवध बिहारी चौधरी की गिनती आरजेडी के सीनियर नेताओं में होती है. इस बार वह छठवीं बार सीवान सदर सीट से विधायक बने हैं. इससे पहले अवध बिहारी चौधरी 1985, 1990, 1995, 2000 और फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं. वह राबड़ी देवी सरकार में शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा यादव समुदाय से आते हैं. 

Advertisement

कौन हैं विजय सिन्हा
विजय सिन्हा पिछली सरकार में श्रम संसाधन मंत्री थे. वह लखीसराय से तीसरी बार लगातार विधायक चुने गए हैं. बीजेपी के खाटी कार्यकर्ता होने के साथ ही पूर्व डिप्‍टी सीएम सुशील कुमार मोदी के करीबी हैं. मंत्री बनने से पहले प्रदेश प्रवक्ता के अलावा जिले से लेकर प्रदेश संगठन में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं.

अवध बिहारी चौधरी यादव जाति से आते हैं और ओबीसी चेहरा हैं, जबकि एनडीए उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा सामान्य वर्ग से आते हैं और भूमिहार जाति के हैं. बीजेपी ने ओबीसी समुदाय से दो डिप्टी सीएम बनाने के बाद स्पीकर की कुर्सी पर सवर्ण समुदाय के बैठाने का दांव चला है, लेकिन उनके निर्विरोध चुने जाने की की राह में आरजेडी रोड़ा बन गई है. इसके जरिए आरजेडी मजबूत विपक्ष होने का संदेश एनडीए को देना चाहती है. 

 

 

Advertisement
Advertisement