बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब से हुई अब तक 11 लोगों की मौत के मामले में सरकार की सहयोगी बीजेपी अब नीतीश कुमार पर आक्रमक हो गई है. नीतीश कुमार पर अब बीजेपी की तरफ से आक्रमण कोई नेता या प्रवक्ता नहीं, बल्कि सीधे प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जयसवाल की तरफ से किया गया है, जिन्होंने रविवार को अपने फेसबुक पोस्ट में नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि क्या राज्य सरकार उन 11 लोगों के परिवार को शराबबंदी कानून में जेल भेज देगी, जिनकी जहरीली शराब पीने से मौत हुई है?
दरअसल, पिछले साल दिवाली के दौरान डॉ. संजय जायसवाल के संसदीय क्षेत्र पश्चिम चंपारण में जहरीली शराब पीने से दर्जनभर से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद सांसद संजय जयसवाल ने उन परिवारों से मुलाकात करके अपनी संवेदना जताई थी और आर्थिक मदद भी की थी.
संजय जयसवाल के इसी कदम को लेकर 2 दिन पहले जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता अभिषेक झा ने संजय जयसवाल पर हमला करते हुए कहा था कि जब उनके संसदीय क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई थी और वह वहां पर संवेदना व्यक्त करने गए और पैसे बांटे थे. यह आचरण सरकार की नीति के हिसाब से गलत था. संजय जायसवाल ने भी इसका जवाब देते हुए कहा था कि भविष्य में कभी उनके क्षेत्र में फिर से जहरीली शराब कांड की घटना होगी तो वह फिर से पीड़ित परिवारों से मिलने जाएंगे.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और जेडीयू प्रवक्ता के बीच हुई इस तीखी नोकझोंक के अगले ही दिन में नीतीश कुमार के गृह जिले में जहरीली शराब कांड से 11 लोगों की मौत हो गई. इससे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को नीतीश सरकार पर हमला करने का फिर मौका मिल गया. रविवार को संजय जयसवाल ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए जनता दल यूनाइटेड से सवाल पूछा कि जिन 11 लोगों की शराब कांड में मौत हुई है, क्या उनके परिवार वालों को जेल भेजा जाएग? क्योंकि सरकार के नीति के मुताबिक, इन परिवारों को सांत्वना देना अपराध है.
नीतीश कुमार की पार्टी पर आगे हमला करते हुए संजय जयसवाल ने कहा कि अगर शराबबंदी कानून लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन के द्वारा गलत बयान देने वाले उन बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए, जिन्होंने जहरीली शराब से हुई मौतों की वजह अजीबोगरीब बीमारी बताई. संजय जायसवाल ने कहा कि जिस तरीके से नालंदा का स्थानीय प्रशासन शराब कांड की लीपापोती करने में लगा हुआ है, उससे यह बात साफ है कि स्थानीय प्रशासन और शराब माफिया की एक दूसरे के साथ मिलीभगत है और स्थानीय प्रशासन शराब माफिया की करतूत को छुपाने की कोशिश कर रहा है.
बीजेपी सांसद ने आगे लिखा कि शराब कांड में नालंदा की पुलिस भी दोषी है, जिन्होंने अपने इलाके में शराब की खुलेआम बिक्री होने दी. संजय जायसवाल ने मांग उठाई कि बिहार सरकार ऐसे दोषी पुलिसकर्मियों को 10 साल जेल की सजा दी जानी चाहिए, क्योंकि ऐसे दोषी पुलिसकर्मियों को केवल उन्हें 2 महीने के लिए निलंबित करने से कुछ नहीं होगा. डॉ. जयसवाल ने आगे कहा कि जहरीली शराब कांड में शराब माफिया भी अपराधी हैं जो जिले के विभिन्न इलाकों में शराब की बिक्री करवाते हैं. बिहार में शराबबंदी को सफल बनाना है तो प्रशासन, पुलिस और माफिया की तिकड़ी को समाप्त करना होगा.