बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के कैबिनेट विस्तार मकर संक्रांति के बाद संभावित है. मंत्रिमंडल विस्तार और विधान परिषद के लिए सीटों पर बंटवारे की चर्चा के बीच गुरुवार को जेडीयू और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बीच दो अहम बैठक हुई. पहली बैठक बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र सिंह यादव और जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह के बीच हुई, जबकि दूसरी बैठक बीजेपी नेताओं की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हुई.
माना जा रहा है कि इस बैठक के जरिए जेडीयू और बीजेपी की खटास को दूर करने के साथ-साथ कैबिनेट और एमएलसी सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर आपसी सहमति बनाने की कवायद की गई है, क्योंकि जीतनराम मांझी ने भी मौके की नजाकत को देखते हुए एनडीए पर प्रेशर बनाना शुरू कर दिया है.
'कहीं कोई विवाद नहीं'
जेडीयू और बीजेपी के दोनों शीर्ष नेताओं ने इस मुलाकात को औपचारिक बताया, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दोनों ही पार्टी के नेताओं ने सिर्फ यही कहा कि कहीं कोई विवाद नहीं है और समय से सब कुछ हो समय से जाएगा. हालांकि यह कब होगा और इसके लिए वार्ता कब होगी इस पर किसी ने कुछ भी कहने से परहेज किया. हालांकि, बैठक के बाद जेडीयू और बीजेपी के दोनों नेता सिर्फ यही बताने में जुटे थे कि एनडीए में सब कुछ ऑल इज वेल है और बिहार में एनडीए की सरकार 5 साल तक मजबूती के साथ चलेगी.
बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव के कहा कि बिहार में बीजेपी, जेडीयू, हम और वीआईपी पार्टी की सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में मजबूती से चल रही है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि लोगों को कोरोना वैक्सीन देने के लिए बिहार समेत पूरे देश में मजबूती से तैयारी की जा रही है. जीतन राम मांझी की नई डिमांड पर जेडीयू ने जवाब दिया है. जेडीयू प्रमुख आरसीपी सिंह ने कहा कि सभी घटक दल के शीर्ष नेता बैठ कर इस पर फैसला करेंगे. दरअसल, मांझी ने मंत्रिमंडल में एक मंत्री पद और एक विधान परिषद सीट की डिमांड की है.
अब तक नहीं हुआ कैबिनेट विस्तार
बिहार में नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के गठन के दो महीने हो रहे हैं. इसके बावजूद अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महज आठ मंत्रियों के सहारे सरकार चला रहे हैं. इस बार बिहार के चुनाव में जेडीयू की सीटें बीजेपी से कम आई हैं और एनडीए में चार दल शामिल हैं. ऐसे में बीजेपी ने भले ही नीतीश को सीएम की कुर्सी सौंप दी हो, लेकिन मंत्रिमंडल में बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती है जबकि जेडीयू बराबर-बराबर की फॉर्मूले से बंटवारा चाहती है.
वहीं, HAM के चार विधायक और VIP पार्टी के चार विधायकों के समर्थन से ही एनडीए बहुमत के आंकड़े की संख्या को पार कर पाया है. एनडीए को 125 सीटें मिली हैं. यही वजह है कि जीतनराम मांझी की बेटे संतोष मांझी और वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी को सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद से नवाजा गया है.
मांझी ने रखी ये मांग
इसके बावजूद जीतनराम मांझी ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि हम नीतीश सरकार पर दबाव डालेंगे कि एक एमएलसी और एक और मंत्री पद हमारी पार्टी को मिलना चाहिए. इतना ही नहीं, मांझी ने तो यहां तक कह दिया कि अगर हमारी पार्टी के प्रत्याशी सभी 7 सीटों पर जीते होते तो आज सत्ता की चाबी हमारे पास रहती.
दरअसल, बिहार में इस बार जनादेश ऐसा आया है कि एनडीए और महागठबंधन के बीच बहुत ज्यादा सीटों का फर्क नहीं है. एनडीए के पास 125 सीटें हैं तो महागठबंधन को भी 110 विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा 5 AIMIM और एक बसपा और निर्दलीय विधायक है. इसलिए बिहार में जोड़तोड़ की राजनीति भी चल रही है. पहले आरजेडी की ओर से यह कहा गया कि जेडीयू के 17 विधायक आरजेडी में शामिल होने को तैयार बैठे हैं.
बयानों से बढ़ी टेंशन
वहीं, अब कांग्रेस के नेता भरत सिंह ने यह कहकर बिहार की राजनीति को और गर्म कर दिया कि कांग्रेस के 11 विधायक एनडीए में शामिल हो सकते हैं. इस सियासी उठापटक के बीच गोपालपुर सीट से जेडीयू विधायक गोपाल मंडल ने यह कहकर सियासत को और गर्मा दिया है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार महज 6 महीने ही चल सकेगी और उसके बाद तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे.
ऐसे सियासी संग्राम के बीच जेडीयू और बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने मुलाकात कर मंत्रिमंडल के साथ-साथ राज्यपाल कोटे की मनोनीत एमएलसी सीट बंटवारे का फॉर्मूला निकालने की कसरत शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार और राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नॉमिनेशन के मुद्दे पर बीजेपी और जेडीयू के बीच सहमति बन गई है, लेकिन अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है.