बिहार में बीजेपी और जनता दल (यू) बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. जेडीयू सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक दोनों पार्टियों के बीच इसको लेकर सहमति बन चुकी है. प्रस्तावित फॉर्मूले के मुताबिक लोकसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी बराबर सीटों पर जबकि विधानसभा चुनाव में जेडीयू बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
सीटों की संख्या को लेकर अभी थोड़ा संशय इसलिए है क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का रुख अभी साफ नहीं है. एनडीए ने उपेंद्र कुशवाहा के सामने 2 सीटों का प्रस्ताव रखा है जबकि रामविलास पासवान की पार्टी को 4 सीटें दी जा रही हैं. अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो बीजेपी-जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. अगर उपेंद्र कुशवाहा एनडीए छोड़ते हैं तो ये संख्या 18-18 भी हो सकती है.
अभी कुछ दिन पहले एक फॉर्मूले के मुताबिक जेडीयू को 16 और बीजेपी को 17 के साथ-साथ पासवान की पार्टी को 5 और कुशवाहा को 2 सीट देने की बात सामने आई थी. हालांकि जेडीयू के एक शीर्ष सूत्र ने बताया है कि जब भी जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों का बंटवारा होगा, तो बराबरी पर ही होगा. अगर ऐसा नहीं होता तो सीट शेयरिंग का फार्मूला कब का तय हो चुका होता.
जाहिर है कि बिहार में हमेशा बड़े भाई की भूमिका निभाने वाली जेडीयू किसी भी कीमत पर बीजेपी के सामने अपना कद छोटा नहीं करना चाहती. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू का कद काफी छोटा हो गया था और बीजेपी उसके सामने पहाड़ जैसी बड़ी हो गई. पर दोबारा एनडीए में आने का बाद जेडीयू की कोशिश है कि मामला बराबरी का रहे, ताकि इज्जत बची रहे.
पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में से 31 पर एनडीए ने सफलता पाई थी जिसमें 22 सीटें बीजेपी, 6 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी और 3 राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी को मिली थी. अकेले चुनाव लड़ रही जेडीयू को महज 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. ऐसे में जेडीयू 2 सीटों से बढ़ कर 17 या 18 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो सबसे ज्यादा पांच सीटों का नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ेगा. बताया जा रहा है कि अगले हफ्ते सीटों के तालमेल का ऐलान कर दिया जाएगा.