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'इतनी हिम्मत नहीं कि नालंदा से बाहर चुनाव लड़ सकें', बिहार BJP अध्यक्ष का नीतीश कुमार पर तंज

जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह के एक बयान से बिहार में सियासत तेज हो गई है. कारण, उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार यूपी से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. इसको लेकर बीजेपी ने नीतीश कुमार पर तंज कसा है.

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संजय जायसवाल और नीतीश कुमार
संजय जायसवाल और नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यूपी के फूलपुर या मिर्जापुर से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. जदयू के राष्ट्रीय अधयक्ष के इस बयान के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है. दरअसल, ललन सिंह ने कहा है कि इन दोनों लोकसभा क्षेत्र की जनता चाहती है कि नीतीश कुमार वहां से चुनाव लड़ें. इसी बयान पर अब बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने भी निशाना साधा है. 

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उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह नीतीश कुमार को फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़वा रहे हैं. वैसे तो माननीय जी की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह नालंदा से बाहर बिहार में भी कहीं चुनाव लड़ सकें. लेकिन अगर प्रधानमंत्री का सपना देखना है तो फूलपुर से चुनाव जरूर लड़ना चाहिए. संजय जायसवाल ने नीतीश और तेजस्वी का वो फोटो भी शेयर किया है, जिसमें दोनों दो लाल रिबन काट रहे हैं.

अपनी ट्वीट में संजय जयसवाल ने आगे लिखा है "वैसे भी बिहार में अब माननीय नीतीश कुमार की यह हैसियत रह गई है कि जिस भवन का उद्घाटन करने वह जाते हैं, वहां पर दो उद्घाटन का रिबन लगा रहता है." इसमें संजय जायसवाल ने दो  रिबन वाला फोटो भी शेयर किया है. इस पोस्ट पर लोगों के खूब कमेंट आ रहे हैं और ये पोस्ट वायरल हो गया है. 

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'इतिहास की यह पहली घटना'

संजय जायसवाल ने आगे लिखा है, "ऊपर वाला रिबन तेजस्वी जी काटते हैं और नीचे वाले रिबन नीतीश जी के हिस्से में आता है. इतिहास की यह पहली घटना होगी कि जब किसी भवन का उद्घाटन मुख्यमंत्री जी करें तो वहीं दूसरा रिबन काटकर उद्घाटन उस विभाग का मंत्री करे. फिर भी मुझसे यह प्रश्न किया जाता है कि मैं माननीय नीतीश जी को रबर स्टैंप मुख्यमंत्री क्यों कहता हूं."

जदयू प्रवक्ता ने साधा निशाना

उधर इस पर जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने तीखे लहजों में कहा, "संजय जायसवाल राजनीति के अग्निवीर बनने को बेचैन रहते हैं. परन्तु राजनीतिक तीर से घायल तो होते हैं. जैसे जनसंख्या नियंत्रण के फर्जी आंकड़े के मामले, 15 अगस्त 2022 को अपने फेसबुक पोस्ट को डिलीट किया जाना. बहुत से उदाहरण हैं. लेकिन अपने राजनीतिक आका को खुश करने के चक्कर में अपमान को भी सम्मान समझने लगते हैं."

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