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बिहार के भागलपुर में रविवार को 1717 करोड़ की लागत से बन रहा पुल रेत की तरह गंगा में बह गया. पूरा देश इस पुल के बहने का वीडियो देखकर दंग हो गया. 2014 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पुल का शिलान्यास किया था. लेकिन 9 साल में ये पुल बनकर तैयार नहीं हो पाया. चौंकाने वाली बात ये है कि ये 'कागजी' पुल दूसरी बार गिरा है. इससे पहले पिछले साल 30 अप्रैल को भी इस निर्माणधीन पुल का हिस्सा गिरा था. तब कहा गया था कि तूफान की वजह से ब्रिज का हिस्सा गिरा. ऐसे में बीजेपी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नीतीश सरकार को घेर रही है. उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि पुल ठीक से नहीं बनाया जा रहा तभी यह बार-बार गिर जा रहा है. उन्होंने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को इसका शिलान्यास किया था. पुल का निर्माण एसपी सिंगला कंपनी कर रही है. करीब तीन किलोमीटर लंबे इस पुल के निर्माण का अस्सी फीसदी काम पूरा हो चुका था. इसी साल नवंबर में पुल के उद्घाटन की तैयारी थी. लेकिन उद्घाटन से पांच महीने पहले ही निर्माणाधीन पुल का बड़ा हिस्सा गंगा की लहरों में समा गया.
बिहार के भागलपुर जिले में सुलतानगंज-अगुवानी गंगा नदी पर ये फोर लेन पुल बन रहा था. ये पुल खगड़िया और भागलपुर जिले को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है. पुल बनने के बाद खगड़िया से भागलपुर आने के लिए 90 किलोमीटर की दूरी मात्र 30 किलोमीटर रह जाएगी.
1700 करोड़ की लागत वाले इस पुल का निर्माण 2015 में शुरू हुआ था. रविवार को पुल का करीब 200 मीटर हिस्सा नदी में गिर गया. पुल के तीन पिलर समेत इनके ऊपर बना स्ट्रक्चर गंगा में समा गया. प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि ब्रिज गिरने से करीब दो किलोमीटर दूर तक आवाज आई. इतना ही नहीं इतना बड़ा स्ट्रक्चर गिरने से गंगा नदी में कई फीट ऊंची लहरें उठीं. गंगा में करीब 500 मीटर में मलबा बिखर गया था. पुल गिरने का वीडियो भी सामने आया है.
वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे 1700 करोड़ से ज्यादा की लागत से तैयार हो रहा पुल जमींदोज हो गया. ब्रिज देखते ही देखते ताश के महल की तरह गिर गया. पहले निर्माणाधीन पुल का ये छोटा सा हिस्सा गिरता है, इसके चंद सेकेंड के भीतर 200 फीट का लंबा स्लैब गंगा नदी में समा जाता है. गंगा में पुल का हिस्सा समाते ही धड़ाम की आवाज आती है.
- कहां से कहां तक बन रहा पुल?
- तीन किलोमीटर लंबा ये पुल खगड़िया और भागलपुर जिले को जोड़ेगा. पुल फोरलेन है. पुल बनने के बाद उत्तर बिहार 4 किलोमीटर लंबी एप्रोच रोड के जरिए सीधे झारखंड से जुड़ जाएगा.
- कितनी है पुल की लागत?
- पुल की लागत 1717 करोड़ रुपये है.
- पुल का कब हुआ था शिलान्यास, कब होना था पूरा?
- नीतीश कुमार ने पुल का शिलान्यास 23 फरवरी 2014 को किया था. 2015 में पुल निर्माण शुरू हुआ था. इसे पहले मार्च 2020 में पूरा होना था.
- कितनी बार मिस हुई पुल की डेडलाइन?
- पुल की डेडलाइन 7 बार मिस हुई. 7वीं बार दिसंबर 2023 की डेडलाइन रखी गई थी. लेकिन ब्रिज गिरने के बाद यह भी डेडलाइन टल गई.
- कौन सी कंपनी बना रही पुल?
- पुल का निर्माण एसपी सिंगला कंपनी कर रही है.
- देश में और कौन से पुल बना रही सिंगला ?
ब्रिज गिरने के बाद कंपनी सवालों के घेरे में आ गई है. यहां तक कि बिहार में कंपनी को बैन करने की भी मांग उठ रही है. हालांकि, कंपनी देश में कई नदियों पर पुल बना चुकी है. जबकि कई पुल कंपनी द्वारा बनाए जा रहे हैं. एसपी सिंगला कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, कंपनी ने देशभर में अब तक 25 ब्रिज बना चुकी है. जबकि 8 ब्रिज पर काम जारी है. कंपनी ने बिहार में अरवल और सहरसा में भी पुल बनाए हैं.
23 फरवरी 2014 को नीतीश कुमार ने खगड़िया में पुल का शिलान्यास किया था. बीच में मांझी सीएम बने तो उसके बाद काम रुक गया था. हालांकि, नीतीश के दोबारा सीएम बनने के बाद 9 मार्च 2015 को काम शुरू हुआ पहले इसे मार्च 2019 में पूरा होना था. लेकिन बाद में सेकेंड डेडलाइन मार्च 2020 की गई.
कोरोना के चलते डेडलाइन मार्च 2022 की गई. मार्च में भी काम पूरा नहीं हुआ, तो डेडलाइन दिसंबर 2022 की गई. लेकिन तब भी पुल पूरा नहीं बन सका, इसलिए इसका उद्घाटन नहीं हुआ. इसके बाद पुल को मार्च 2023 तक पूरा करने की डेडलाइन रखी गई. इसके बाद जून 2023 में छठी डेडलाइन भी फेल हो गई. इसके बाद पुल को दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. लेकिन अब पुल का बड़ा हिस्सा गंगा में समा गया.
नीतीश बोले- ठीक से नहीं बन रहा था पुल
नीतीश कुमार ने कहा, कुछ समय पहले भी ऐसा हुआ था. हमने पूछा था कि ऐसा क्यों हुआ है. हमने इसे बहुत पहले बनाना तय किया था. 2012 में इसे बनाने का फैसला किया गया. 2014 में इसे बनाना शुरू किया गया. जिसको भी दिया गया (ठेका), वह इतना देर में क्यों बना रहा है. पहले गिर गया था, 1 साल पहले तब भी हमने कहा था. कल ये फिर गिर गया. हमने विभाग के लोगों को कहा कि देखिए और एक्शन लीजिए. ये कोई तरीका नहीं है. अभी तक ये होना जाना चाहिए. बहुत हो गया. इतनी देर क्यों हो रही है. मुझे बहुत तकलीफ हुई है. इसे ठीक से नहीं बनाया जा रहा था, इसलिए बार बार गिर जा रहा है.
तेजस्वी बोले- पुल की डिजाइन में फॉल्ट
तेजस्वी यादव ने पुल गिरने के बाद कहा कि ये पहली बार नहीं हुआ है, अप्रैल 2022 में भी यह निर्माणाधीन पुल गिरा था और उस वक्त नेता प्रतिपक्ष रहते हुए हमने इस पर सवाल भी उठाए थे. तेजस्वी यादव ने कहा कि पथ निर्माण विभाग का काम संभालने के बाद हमने इस पुल की जांच आईआईटी रुड़की से कराई जिसके आधार पर पुल के स्ट्रक्चरल डिजाइन में फॉल्ट पाया गया. इसके बाद क्षतिग्रस्त हिस्से को तोड़कर फिर से उसे बनाने का काम शुरू किया गया. अभी इस पुलिस के पिलर नंबर पांच को लेकर आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट आनी है. हमने पहले ही इस पुल को लेकर आशंका जताई थी.
बीजेपी ने मांगा नीतीश-तेजस्वी का इस्तीफा
पुल गिरने के बाद बिहार की सियासत गरमा गई है. बीजेपी ने इस मामले में महागठबंधन सरकार पर भ्रष्टचार का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इस्तीफा मांगा है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने राज्य सराकर पर निशाना साधते हुए कहा कि पुल गिरने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए चाचा-भतीजा (नीतीश-तेजस्वी) को इस्तीफा दे देना चाहिए. बता दें कि कुछ ही महीनों के अंतराल पर दूसरी बार यह पुल गिरा है. भागलपुर में निर्माणाधीन पुल गिरने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि यह निर्माणाधीन पुल 2 बार गिर चुका है, नीतीश तेजस्वी में नैतिकता बची हुई है तो वे तुरंत इस्तीफा दें.