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नवजात को ट्रे में लेकर भटकती रही मां, कागजी कार्रवाई में देरी से गई जान

कोरोना संकट के दौर में भी सरकारी अस्पतालों में लापरवाही में किसी तरह की कमी नहीं आई है. नवजात शिशु को ट्रे मेें लेकर मां तो पिता कंधे पर ऑस्सीजन सिलेंडर लेकर भटकता रहा लेकिन अस्पताल कागजी कार्रवाई में लगा रहा जिससे बच्चे की जान चली गई.

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बीमार बच्चे के इलाज के लिए सिलेंडर ढोता पिता और ट्रे में रखा नवजात
बीमार बच्चे के इलाज के लिए सिलेंडर ढोता पिता और ट्रे में रखा नवजात

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  • निजी हॉस्पिटल में प्रसव के बाद सदर आए थे दंपति
  • सदर में कागजी कार्रवाई में ही लग गया डेढ़ घंटा
  • घटना के बाद जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश

अपने नवजात बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए मां-बाप कुछ भी कर सकते हैं. लेकिन फिर भी उन्हें सिस्टम की लापरवाही के चलते निराश होना पड़े तो यह दुखद हो जाता है. ऐसा शर्मसार करने वाला एक मामला बिहार के बक्सर से आया है जहां मासूम की जान बचाने को पिता कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर और मां ट्रे में अपने नवजात को लेकर घूमती रही. लेकिन बच्चे की जिंदगी नहीं बच सकी.

यह इलाका किसी और का नहीं, बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे का संसदीय क्षेत्र है. यहां के सदर हॉस्पिटल में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही से नवजात की मौत हो गई.

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कब और कहां का मामला

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बक्सर के सदर हॉस्पिटल में यह घटना 23 जुलाई की है, लेकिन उस समय ली गई दो तस्वीरें अब सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही हैं.

एक तस्वीर में महिला ने ट्रे में अपने नवजात को ले रखा है और कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर लिए एक व्यक्ति दिख रहा है. अस्पताल में भर्ती होने के लिए कागजी कार्रवाई पूरी होते-होते एक नवजात की जान चली गई. पीड़ित व्यक्ति ने फोन पर निजी हॉस्पिटल से लेकर सरकारी हॉस्पिटल के बदइंतजामी की सारी कहानी बयां की है.

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नवजात की मौत के बाद वायरल हुई तस्वीर आई तो आनन-फानन में सिविल सर्जन ने डीएस को तो जिलाधिकारी ने उपविकास आयुक्त को पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंप दी है.

प्रसव के बाद 18 किमी दूर सदर पहुंचे

राजपुर के सखुआना गांव के निवासी सुमन कुमार ने अपनी पत्नी को प्रसव के लिए बक्सर सदर हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, लेकिन हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने प्रसव कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद वो अपनी पत्नी को निजी हॉस्पिटल लेकर चला गया.

वहां डिलीवरी तो हुई, लेकिन नवजात को सांस लेने में तकलीफ होने पर कर्मियों ने पिता के कंधे पर ऑक्सीजन का सिलेंडर और प्रसूता को ट्रे में नवजात को देकर सदर हॉस्पिटल का रास्ता दिखा दिया.

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18 किमी की दूरी तय कर लाचार दंपति सदर हॉस्पिटल पहुंचे, जहां कागजी कार्रवाई पूरी करते-करते डेढ़ घंटे लग गए और इस बीच नवजात ने दम तोड़ दिया. हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही यहीं नहीं रूकी, शव के साथ दपंति को घर भेजने के लिए हॉस्पिटल प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम तक नहीं किया गया.

इस दौरान सदर हॉस्पिटल में ही मौजूद किसी व्यक्ति ने इस घटना की दो तस्वीर खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दीं. इससे ये मामला सामने आ सका. बहरहाल, इस घटना के बाद जिलाधिकारी अमन सरीन ने पूरे मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं.

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