बिहार में महागठबंधन की सरकार है. नीतीश कुमार हाल में दिल्ली दौरे से विपक्ष को एकजुट करके लौटे हैं. यहां तक कि 2024 में बीजेपी को उसकी पुरानी स्थिति में लाने का दावा किया जा रहा है. प्रश्न करने पर नीतीश कुमार कहते हैं-सामने आएगा देख लीजिएगा. महागठबंधन का उत्साह इन दिनों बिहार में चरम पर है. नीतीश कुमार एक महीने के भीतर कई बार लालू यादव से मिल चुके हैं. ऐसा लग रहा है कि जदयू और राजद एक हो गए हैं. लेकिन इस बीच एक बड़ा सवाल ये है कि बिहार के तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. सियासी जानकारों का मानना है कि ये महागठबंधन और बीजेपी के लिए अग्निपरीक्षा साबित होने वाली है. दोनों गुट को पता चल जाएगा कि कौन कितने पानी में है और बिहार की जनता किसे पसंद कर रही है. साथ ही ये चुनाव 2024 के उस सियासी मूड को भांपेगा, जिसे लेकर अभी से राजनीतिक माहौल बनाया जा रहा है.
किन सीटों पर उपचुनाव, कौन कहां मजबूत?
उपचुनाव के परिणाम और उसे लेकर चल रही गोलबंदी की चर्चाएं जोरों पर हैं. सियासी जानकार बताते हैं कि ये चुनावी नतीजे बिहार की आने वाली राजनीतिक हलचल को प्रभावित करेंगे. इसे लेकर अभी से बीजेपी गुणाभाग कर रही है, वहीं महागठबंधन पूरी तरह आश्वस्त दिखने में जुटा है कि हो ना हो ये सीट उन्हीं के कब्जे में आएगी. इधर, इन तीनों सीटों पर जीत हासिल कर दोनों गुट ये संदेश देने की कोशिश करेंगे कि उनकी ताकत बिहार में अभी भी ज्यादा है. इसे लेकर दोनों तरफ सियासी रणनीति शुरू हो गई है. आपको बता दें कि गोपालगंज, कुढ़नी और मोकामा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. हालांकि अभी तारीख की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सियासी हलचल तेज है. इन तीनों सीटों पर महागठबंधन और बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर होगी. वहीं राजद कार्यालय में एक पार्टी कार्यकर्ता ने कहा कि महागठबंध ही ये चुनाव जीतेगा. क्योंकि सारे समीकरण अभी महागठबंधन के पास हैं.
गोपालगंज में सरकार में सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह के निधन के बाद ये सीट खाली हुई है. बीजेपी इस सीट पर सुभाष सिंह की पत्नी को टिकट देकर सहानुभूति की लहर पर सवार होकर जीत हासिल करने की कोशिश करेगी, लेकिन ये जिला लालू का भी है. इसलिए यहां कांटे की टक्कर होगी. वहीं दूसरी ओर मोकामा विधानसभा सीट अनंत सिंह के हथियार रखने के मामले में सजा मिलने की वजह से खाली हुई है. इस सीट को प्राप्त करने के लिए दोनों गुट अपनी पूरी ताकत लगाएंगे. उसी क्षेत्र से आने वाले बीजेपी ने विजय सिन्हा को नेता प्रतिपक्ष बनाकर समीकरण को साधने की कोशिश की है. वहीं जदयू के ललन सिंह के लिए ये सीट सियासी प्रतिष्ठा का विषय बन गई है. स्वभाविक है जीतने की जुगत में दोनों गुट लगेंगे और लड़ाई दिलचस्प होगी.
सियासी समीकरण क्या चल रहे हैं?
मुजफ्फरपुर के कुढ़नी की बात करें तो इस सीट पर राजद को जीत हासिल हुई थी, लेकिन कहा जा रहा है कि एलटीसी घोटाले में सहनी का नृाम आने के बाद उनकी सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है. यदि सदस्यता रद्द हो जाती है तो इस सीट पर चुनाव होगा. कुढ़नी महल्लाहों का वोट बैंक वाला सीट है. इस बार बीजेपी यहां केदार गुप्ता जैसे कार्यकर्ता को फील्ड में उतारने की जुगत में है. वहीं राजद भी अनिल सहनी की तरह पकड़ वाला उम्मीदवार इस सीट पर उतारेगी. अभी से इसके लिए रणनीति शुरू हो गई है. राजद नेताओं की मानें तो अनिल सहनी की मेंबरशिप जानी तय है वैसी स्थिति में पार्टी अच्छा कैंडिडेट तलाशने में जुटी है. कुल मिलाकर महागठबंधन और बीजेपी की अग्निपरीक्षा इन तीनों सीट पर होगी और जो भी बाजी मारेगा वो लोकसभा चुनाव में इसे भुनाएगा.